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Wednesday, June 30, 2021

डेजी व्हील प्रिंटर क्या है? और इसके फायदे और नुकसान क्या है

 डेजी व्हील प्रिंटर क्या है? और इसके फायदे और नुकसान क्या है आइए जानें पूरी जानकारी हिंदी में

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डेजी व्हील प्रिंटर (Daisy Wheel Printer) 

डेजी व्हील प्रिंटर में कैरेक्टर की छपाई टाइपराइटर की तरह होती है। यह डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर की अपेक्षा अधिक रिजोल्यूशन की प्रिंटिंग करता है। तथा इसका आउटपुट, डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर की अपेक्षा ज्यादा विश्वसनीय होता है।

या

इन प्रिंटरों में प्रिंटिंग के लिए एक प्लास्टिक के पहिए का प्रयोग किया जाता है। इन पहिए की आकृति गुलबहार फूल के समान होती है। इसलिए इस प्रिंटर को डेजी व्हील प्रिंटर कहते हैं‌। इसकी प्रत्येक पंखुड़ि एक अक्षर उभरता है। एक मोटर के द्वारा इस पहिए को तीव्र गति से घुमाया जाता है। जब सही अक्षर की स्थिति प्रिंटिंग की स्थिति पर आ जाती है। तो एक छोटे हथौडे़ के द्वारा इस पर चोट की जाती है। इससे अक्षर छप जाता है। इसकी प्रिंटिंग की गुणवत्ता अच्छी होती है। यह 10 से 50 अक्षर एक सैकंड में छाप सकते हैं। यह एक इंपैक्ट प्रिंटर है।

लाभ (Advantages)

  1. इसकी प्रिंट की छपाई अच्छी होती है।
  2. एक साथ कई कार्बन कॉपियां छापी जा सकती है।

हानियां (Disadvantages)

  1. इसकी गति डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर की अपेक्षा धीमी होती है।
  2. यह बहुत आवाज करता है।
  3. यह सीमित अक्षर ही छाप सकता है।
  4. इससे तस्वीर, ग्राफिक्स आदि नहीं छापे जा सकते हैं।
  5.  केवल एक रंग की छपाई कर सकता है।

विशोषताएँ (Features)

  1. यह 10 से 50 अक्षर एक सैकंड में प्रिंट कर सकता है।
  2. डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर की अपेक्षा ज्यादा विश्वसनीय होते हैं।
  3. इसमें एक प्लास्टिक के पहिए (Wheel) का प्रयोग प्रिंटिंग के लिए किया जाता है।
  4. इसकी प्रिंटिंग की गुणवत्ता अच्छी होती है।

Tuesday, June 29, 2021

डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर क्या है और इसके फायदे और नुकसान क्या है

डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर क्या है? और इसके फायदे और नुकसान क्या है आइए जानें पूरी जानकारी हिंदी में

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डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर (Dot Matrix Printer) 

इस प्रकार के प्रिंटर में पिनों की एक पंक्ति होती है, जो कागज के ऊपरी सिरे पर रिबन से प्रहार करती है। जब पिन रिबन से प्रहार करते हैं तो डॉट्स (Dots) का एक समूह एक मैट्रिक के रूप में कागज पर पड़ता है, जिससे अक्षर या चित्र छप जाते हैं। इस प्रकार के प्रिंटर को पिन प्रिंटर भी कहते हैं। डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर एक बार में एक ही कैरेक्टर प्रिन्ट करता है। ये काफी धीमी गति से प्रिन्ट करते हैं तथा ज्यादा आवाज करते हैं, जिससे इन्हें कम्प्यूटर के साथ कम प्रयोग किया जाता है।

कमियां (Drawbacks)

  1. लाइन प्रिंटर की तुलना में उनकी गति सीमा धीमी है।
  2. उनके प्रिंट लक्ष्य डेज़ी व्हील प्रिंटर की तुलना में दूसरे दर्जे के हैं।
  3. ये प्रिंटर ग्राफिक वस्तुओं को पर्याप्त रूप से प्रिंट नहीं कर सकते हैं लेकिन ये लेखांकन, कार्मियों और पेरोल जैसे अनुप्रयोगों को बहुत अच्छी तरह से संभाल सकते हैं।

लाभ (Advantages) 

  1. यह प्रिन्टर अधिक मंहगें नहीं होते है। 
  2. इनकी प्रति पृष्ठ (Page) छपाई सस्ती पडती है । 
  3. इनका रख रखाव आसान है । 
  4. एक साथ कई प्रतियां प्रिन्ट कर सकती है। 
  5. इनका कोई निश्चित फोन्ट (Font) नहीं होता, इसलिए यह किसी भी प्रकार के अक्षर छाप सकते हैं। 
  6. इनके द्वारा चार्ट एवं ग्राफ भी प्रिन्ट किए जा सकते हैं। 

हानियां (Disadvantages) 

  1. इसके द्वारा तस्वीरें (Picture/Photo) नहीं छापी जा सकती है। 
  2. इसकी प्रिंटिंग विशेष अच्छी नहीं होती हैं। 
  3. इसकी प्रिंटिंग की गति धीमी होती है। 
  4. प्रिंटिंग के समय आवाज करते हैं। 
  5. एक ही रंग की प्रिंटिंग करते हैं।

Monday, June 28, 2021

आउटपुट उपकरण क्या-क्या है?

आउटपुट उपकरणों की पूरी जानकारी हिंदी में

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आउटपुट उपकरण (Output Device)

कंप्यूटर की प्रोसेसिंग पूरी होने पर प्राप्त परिणामों को आउटपुट कहते हैं परिणामों को जिन आउटपुट उपकरणों की मदद से प्रदर्शित किया जाता है उन्हें आउटपुट उपकरण कहते हैं।

या

आउटपुट डिवाइस वे डिवाइस होते है जो यूजर द्वारा इनपुट किये गये डाटा को रिजल्ट के रूप में प्रदान करते हैं।

Example – 

  • Monitor
  • Printer
  • Projector
  • Speaker
  • Plotter
  • Headphone

कंप्यूटर से प्राप्त परिणाम दो प्रकार की होती है।

  1. सॉफ्ट कॉपी आउटपुट (Soft Copy Output)
  2. हार्ड कॉपी आउटपुट (Hard Copy Output)


(1) मॉनिटर (Monitor) 

यह आउटपुट उपकरणों में सबसे अधिक काम में आने वाला एक उपकरण है । यह देखने में टी.वी. स्क्रीन जैसा होता है यूजर द्वारा दिए गए डाटा प्रोसेसिंग के पश्चात प्राप्त परिणामों को प्रदर्शित करता है ।

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Monitor

विशोषताएँ (Features)

  • यह टेक्स्ट और ग्राफिक में बहुत सारे रंग डिस्प्ले करता है।
  • इसकी स्क्रीन पर आउटपुट तुरन्त डिस्प्ले हो जाता है।
  • मॉनिटर सस्ता और विश्वसनीय नहीं होता है।

माइक्रो कंप्यूटर में मुख्यतः दो प्रकार के मॉनिटर काम में लिए जाते हैं—

  1.  कैथोड रेड ट्यूब (CRT) मॉनिटर
  2. लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले (LCD) मॉनिटर

(2) प्रिंटर (Printer)

प्रिंटर एक प्रकार का आउटपुट डिवाइस है जिसका प्रयोग कंप्यूटर से डाटा और सूचनाओं को किसी कागज पर प्रिंट करने के लिए किया जाता है यह ब्लैक और वाइट के साथ-साथ कलर डॉक्यूमेंट को भी प्रिंट कर सकता है प्रिंट किए गए कॉपी को हार्ड कॉपी कहा जाता है।

किसी प्रिंटर की गति करैक्टर प्रति सेकंड (Character Per Second-CPS) में लाइन प्रति मिनट (Line Per Minute-LPM) में और पेजेज प्रति मिनट (Dots Par Inch-DPI) में मापी जाती है। किसी प्रिंटर की क्वालिटी डॉट्स प्रति इंच में मापी जाती है। अर्थात ई-पेपर पर एक इंच में जितने ज्यादा से ज्यादा बिंदु होंगे प्रिंटिंग उतनी ही अच्छी होगी।

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विशोषताएँ (Features)

  • एप्पल आईपैड (Apple iPad), आईफोन (iPhone) और आईपोड टच (iPod Touch) के द्वारा प्रिंट बहुत जल्दी से प्राप्त किए जा सकते हैं।
  • वायरलैस प्रिंटर्स के द्वारा तारों के कनैक्शन के बिना प्रिंट आसानी से और कहीं भी प्राप्त किए जा सकते हैं।

प्रिंटर दो प्रकार के होते हैं

(3) प्लॉटर (Plotter)

प्लॉटर का प्रयोग अच्छी गुणवत्ता वाली प्रिंटिंग के लिए किया जाता हैै । इसका प्रयोग बड़े चित्र जैसे— इमारतों के नक्शे, कॉलोनी मैप, मास्टर प्लान और वास्तु चित्र आदि बनाने में किया जाता है।

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Plotter


विशोषताएँ (Features)

  • यह स्वत: पेपर कटर का आकार करने के लिए दस्तावेजों की ट्रिमिंग (Trimming) का काम आसान करता है।
  • इनके पास इलेक्ट्रॉनिक्सलॉजिक बोर्ड होते हैं।

प्लॉटर के प्रकार (Types of Plotter)

यह दो प्रकार के होते हैं—

  1. फ्लैट बेड प्लॉटर  (Flat Bed Plotter) – यह प्लॉटर आकार में छोटा होता है तथा इस में आसानी से मेज पर रखकर प्रिंटिंग की जा सकती है। इसमें जो पेपर प्रयोग होता है, उसका अकार (Size) सीमित होता है।
  2. ड्रम प्लॉटर (Drum Plotter) – यह अकार में काफी बड़ा होता है तथा इसमें प्रयुक्त पेपर की लंबाई असीमित होती है। इसमें पेपर का एक रोल (Roll) प्रयोग किया जाता है।

(4) हैडफोन (Headphone)

यह ऐसी युक्ति है, जो स्पीकर जैसे ही कार्य करती हैं।परंतु इसे सिर पर एक बैल्ट की तरह पहना जाता है हैडफोन भी स्पीकर की तरह कार्य करता हैं इसके स्पीकर दोनों कानों के ऊपर आ जाते हैं इसलिए इसकी आवाज केवल एक केवल इसे पहनने वाला व्यक्ति को ही सुनाई देता है किसी किसी हेडफोन के साथ माइक्रोफोन या माइक भी लगा होते हैं

इस डिवाइस का उपयोग— टेलिफोन ऑपरेटरों, कॉल सेंटर ऑपरेटरों, कोमेंटेटरो आदि द्वारा किया जाता है ध्वनि वाली युक्ति/डिवाइस का प्रयोग केवल तभी कर सकते हैं। जब मदरबोर्ड साउंड कार्ड लगा हो, आजकल सभी मदरबोर्ड में पहले से ही साउंड कार्ड लगा हुआ आता है।

विशोषताएँ (Features)
  • यह आसानी से उपयोग किए जा सकते हैं।
  • यह सस्ते होते हैं। और गति अच्छी होती हैं।
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Headphone

(5) स्पीकर (Speaker)

स्पीकर यह एक प्रकार की आउटपुट डिवाइस है जो कंप्यूटर से प्राप्त आउटपुट को आवाज के रूप में सुनाती है यह कंप्यूटर से डाटा विद्युत धारा के रूप में प्राप्त करता है इसे सीपीयू से जोड़ने के लिए साउंड कार्ड की जरूरत पड़ती है। यह साउंड कार्ड साउंड उत्पन्न करता है। इसका प्रयोग गाना सुनने, संवाद आदि में करते हैं। स्पीकर कंप्यूटर में आंतरिक व बाहरी रूप में लगा होता है।
या
यह ऑडियो सिगनल को ध्वनि तरंग में बदलने वाला एक ऐसा आउटपुट डिवाइस है जिसकी मदद से हम कंप्यूटर पर ऑडियो को सुन सकते हैं। स्पीकर कंप्यूटर में आंतरिक व बाहरी रूप में लगा होता है।

विशोषताएँ (Features)
  • ये आसानी से संचालित हो जाते हैं।
  • ये एनालॉग या डिजिटल रिकॉर्डिंग से ध्वनि उत्पन्न कर सकते हैं
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Speaker

(6) प्रोजेक्टर (Projector)

यह एक प्रकार का आउटपुट डिवाइस है जिसका प्रयोग कंप्यूटर में से प्राप्त सूचना या डाटा को बड़ी स्क्रीन पर देखने के लिए करते हैं। प्रोजेक्टर की सहायता से एक समय में बहुत सारे लोग एक साथ बैठकर परिणाम को देख सकते हैं। इसका प्रयोग क्लास रूम या एक बड़े कॉन्फ्रेंस हॉल जिसमें ज्यादा संख्या में दर्शक हों, जैसी जगहों पर किया जाता है‌। इसके द्वारा छोटे चित्र को बड़े करके सरलता पूर्वक देखा जा सकता है यह एक प्रकार का स्थाई आउटपुट डिवाइस है।

विशोषताएँ (Features)

  • यह आसानी से इंस्टॉल हो जाते हैं 
  • चित्र या टेस्ट को अधिकतम बड़ा करके देख सकते हैं
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Projector

Sunday, June 27, 2021

इनपुट उपकरण क्या-क्या है?

इनपुट उपकरणों की पूरी जानकारी हिंदी में

इनपुट उपकरण (Input Devices)

इनपुट ऐसे उपकरण है जिसके द्वारा सूचना कंप्यूटर के सी.पी.यू. में भेजी जाती है वह सूचना टेक्स्ट आवाज या पिक्चर के रूप में हो सकती है अलग-अलग कार्यों के लिए अलग-अलग इनपुट उपकरण होते हैं। इन उपकरणों का प्रयोग उपयोगकर्ता  कंप्यूटर को डाटा और निर्देश प्रदान करने के लिए करता है।

 या

वे डिवाइसेज, जिनका प्रयोग उपयोगकर्ता के द्वारा कंप्यूटर को डाटा और निर्देश प्रदान करने के लिए किया जाता है इनपुट डिवाइसेज कहलाती है इनपुट डिवाइसेज उपयोगकर्ता से इनपुट डाटा लेने के बाद इसे मशीनी भाषा में परिवर्तित करती है और इस परिवर्तित मशीनी भाषा को सीपीयू के पास भेज देती है। 

या

वे डिवाइस जिनका प्रयोग उपयोगकर्ता (User) के द्वारा कंप्यूटर को डाटा और निर्देश को प्रदान करने के लिए किया जाता है इनपुट युक्तियां कहलाती है इनपुट युक्तियां उपयोगकर्ता से इनपुट लेने के बाद इसे मशीनी भाषा में परिवर्तित करके सीपीयू के पास भेज देती है। 

या

वे सभी उपकरण जिसकी सहायता से उपयोगकर्ता कम्प्यूटर को निर्देश दे पाता है उन्हे इनपुट डिवाइस कहते है या इनपुट यूनिट कहा जाता हैं।

उदाहरण–

  • Keyboard
  • Mouse
  • Light pen
  • Touch penal
  • Track ball
  • Joystick
  • Microphone
  • Digital camera
  • Webcam
  • Barcode reader
  • Biometric sensor
  • Scanner
  • Graphics tablet
  • OMR
  • OCR
  • MICR

(1) की-बोर्ड (Key-Board) 

यह इनपुट का महत्वपूर्ण उपकरण है जो टाइपराइटर के समान दिखाई देता है किसी भी टेक्स्ट या डाटा निर्देश इसी के द्वारा कंप्यूटर को दिए जाते हैं इस पर अक्षर, अंक और संकेत लिखे होते हैं जिन्हें कीज कहते हैं ।इसका प्रयोग कंप्यूटर में डाटा एवं निर्देश को कंप्यूटर की मेमोरी तक पहुंचाने में किया जाता है। यह कीबोर्ड में 104, 105 की कीज होते हैं।

Key-Board

विशषताएँ (Features)
  • इसके द्वारा डेटा को कम्प्यूटर में सही तरीके से भेजा जा सकता है। 
  • इसमें विभिन्न प्रकार के डेटा को भेजा जा सकता है।

(2) माउस (Mouse) 

माउस हाथ में पकड़ कर चलाई जाने वाली एक इनपुट डिवाइस है यह एक केबल द्वारा सी.पी.यू. से जुड़ा रहता है इसका उपयोग मॉनिटर पर कर्सल को कंट्रोल करने में किया जाता है वह एक छोटी डिब्बी के आकार का होता है इसको हाथ से पकड़ कर एक समतल पैड (Mouse Pad) पर सरकाया जाता है जिसे माउस पैड कहते हैं।

Mouse

विशेषताएँ (Features)
  • इससे ऑब्जेक्ट्स और ऑप्शन्स को आसानी से सिलेक्ट किया जा सकता है।
  • इसका पॉइटिंग डिवाइस के लिए अधिकतम प्रयोग किया जाता है।


(3) टच स्क्रीन (Touch penal)

टच स्क्रीन एक इनपुट डिवाइस है जो कि एक कंप्यूटर (display) स्क्रीन होती है। टच स्क्रीन ज्यादातर फ़ोन तथा अन्य Devices पर प्रयोग किया जाता है। किसी डिवाइस को हम बिना माउस तथा कीबोर्ड का प्रयोग किये सीधे ही अपनी उंगली का यूज करके आसानी से प्रयोग कर सकते है।
या
यह एक विशेष प्रकार का मॉनिटर है इसमें इनपुट देने के लिए हम कीबोर्ड के बटनों को नहीं दबाते बल्कि स्क्रीन पर ही एक निश्चित स्थान को स्पर्श करते हैं या हल्के से दबाते हैं, इसे पता चल जाता है कि हम क्या इनपुट देना चाहते हैं।
टच स्क्रीन का उपयोग प्रायः ऐसे स्थानों में किया जाता है जहां ग्राहकों को कंप्यूटर में कोई इनपुट देना होता है जैसे— ए.टी.एम. मशीनों में या टिकट वेटिंग मशीनों में ।

Touch penal

विशोषताएँ (Features)
  • इसके द्वारा लिखने के लिए कीपैड की आवश्यकता नहीं होती है। 
  • यह कीपैड की अपेक्षा जल्दी इनपुट देता है।

(4) ट्रैकबॉल (Trackball)

यह एक प्रकार की पॉइंटिंग डिवाइस है, जिसे माउस की तरह प्रयोग किया जाता है। इसमें एक बॉल ऊपरी सतह पर होती है। इसका प्रयोग कर्सर के मूवमेंट को कंट्रोल करने के लिए किया जाता है। 

Trackball

ट्रैकबॉल का प्रयोग CAD/CAM, कम्प्युटरिकृत वर्कस्टेशनों जैसे— एयर-ट्रैफिक कंट्रोल रूम, राडार कंट्रोल्स में तथा जहाज अथवा सबमेरिन पर सोनार तत्त्र (Sonar System) में किया जाता है।

विशोषताएँ (Features)

  • इसका प्रयोग CAD वर्कस्टेशनों (Computer Aided Design Workstations) में किया जाता है।
  • इसका प्रयोग CAM वर्कस्टेशनों (Computer Aided Manufacturing Workstations) में किया जाता है।

(5) जॉयस्टिक (Joystick) 

यह एक प्रकार पॉइंटिंग डिवाइस होती है जो सभी दिशाओं में मूव करती है जॉयस्टिक का प्रयोग फ्लाइट सिम्युलेटर, कम्प्युटर गेमिंग, (CAD/CAM) सिस्टम में किया जाता है जिसमें एक हैंडल लगा होता है जिसकी सहायता से कर्सल के मूवमेंट को कंट्रोल करती हैं।

Joystick


विशोषताँ (Features)
  • इसे हम एक हाथ से आसानी से पकड़कर वीडियो गेम्स को नियन्त्रित कर सकते हैं।
  •  इसके द्वारा ट्रक और क्रेन जैसी मशीनों को कंट्रोल किया जा सकता है।

(6) लाइट पेन (Light pen) 

यह एक साधारण बॉल पेन की तरह दिखाई देती है इसके एक सिरे पर एक पतली पिन या सूई होती है और दूसरे सिरे से तार (वायर) निकलकर कंप्यूटर से जुड़ा होता है इसको साधारण पेन की तरह हाथ में पकड़ कर हम जो कुछ भी इस पेन से लिखते हैं या चित्र बनाते हैं वह उसी रूप में कंप्यूटर की स्क्रीन पर दिखाई पड़ता है।

Light Pen

इसका प्रयोग प्रायः कंप्यूटर एडिड डिजाइनिंग (Computer Aided) और चित्रकारी या डिजाइनरों के लिए जैसे कार्यों में किया हैं।

कमियां (Drawbacks)

  • जब एक लाइट पेन को स्क्रीन पर इंगित किया जाता है तो स्क्रीन का हिस्सा हाथ और पेन से अस्पष्ट हो जाता है। 
  • जब कई घंटों तक उपयोग किया जाता है, तो एक हल्का पेन अनुभवहीन उपयोगकर्ताओं के लिए थका देने वाला हो सकता है, क्योंकि इसे प्रत्येक उपयोग के लिए उठाया, इंगित और सेट किया जाना चाहिए। 
  • लाइट पेन को कुछ अनुप्रयोगों के लिए विशेष कार्यान्वयन की आवश्यकता होती है क्योंकि वे काले क्षेत्र के भीतर स्थिति का पता नहीं लगा सकते हैं। 
  • किसी भी स्क्रीन क्षेत्र में एक लाइट पेन के साथ स्थिति का चयन करने में सक्षम होने के लिए हमारे पास प्रत्येक स्क्रीन पिक्सेल को कुछ गैर शून्य तीव्रता निर्दिष्ट होनी चाहिए। 
  • लाइट पेन सीमित उपयोग के साथ एक उम्र बढ़ने वाली तकनीक है। जब तक ठीक से समायोजित नहीं किया जाता है, लाइट पेन कभी-कभी झूठे लक्ष्यों का पता लगाते हैं, जैसे कि फ्लोरोसेंट रोशनी (यानी एक कमरे में पृष्ठभूमि उच्च समय) या अन्य पास के डायसेंट वर्ण) और इच्छित लक्ष्यों का पता लगाने में विफल होते हैं।

विशोषताएँ (Features)

  • इसका प्रयोग करना अत्यधिक आसान है।
  • इसका स्क्रीन पर सीधे प्रयोग किया जा सकता है।

(7) ऑप्टिकल मार्क रीडर (OMR)

यह एक प्रकार की इनपुट डिवाइस है, जिसका प्रयोग किसी कागज पर बनाए गए चिन्हों को पहचानने के लिए किया जाता है।

Optical Mark Reader (OMR)

यह कागज पर प्रकाश की किरण छोड़ता है और प्रकाश की किरण जिस चिन्ह पर पड़ती । उस चिन्ह को OMR (Optical Mark Reader) रीड करके कम्प्यूटर को इनपुट देता है 

OMR की सहायता से किसी वस्तुनिष्ठ प्रकार की प्रयोगात्मक परीक्षा की उत्तर पुस्तिका की जाँच की जाती है। इसकी सहायता से हंजारो प्रश्नों का उत्तर बहुत ही कम समय में आसानी से जाँचा जा सकता है।

विशोषताएँ (Features)

  • OMR सिस्टम 100% एक्यूरेट (Accurate) होता है।
  • यह अक्षरों को पढ़ने का बहुत तेज माध्यम है। इसके पढ़ने की क्षमता मशीन की दक्षता पर निर्भर करती है।
लाभ  (Advantages)
  • सूचना इसके स्रोत पर दर्ज की गई है और आगे किसी प्रतिलेखन की आवश्यकता नहीं है।
  • यह डेटा की अविश्वसनीयता को कम करता है।
 नुकसान (Disadvantages)
  • वे बहुत धीरे-धीरे पढ़े जाते हैं।
  • भरे हुए डेटा को मिटाया जा सकता है या डबल-कोड किया जा सकता है (एक से अधिक बॉक्स भरे हुए)।
  • इसके लिए प्रपत्रों पर मुद्रण के सटीक संरेखण की आवश्यकता होती है और महंगे कागज की अच्छी गुणवत्ता की आवश्यकता होती है

(8) ऑप्टिकल करैक्टर रीडर (OCR)

यह OMR का ही कुछ सुधरा हुआ रूप है। यह केवल साधारण चिहों को ही नहीं, बल्कि छापे गए या हाथ से साफ-साफ लिखे गए अक्षरों को भी पढ़ लेता है।

Optical Character Reader (OCR)

यह प्रकाश स्रोत की सहायता से करैक्टर की शेष को पहचान लेता है। इस तकनीक को ऑप्टिकल करैक्टर रीडर (Optical Character Reader, OCR) कहा जाता है। 

इसका प्रयोग कई अनुप्रयोगों; जैसे-टेलीफोन, इलेक्ट्रिसिटी बिल, बीमा प्रीमियम आदि को पढ़ने में किया जाता है।

विशषताएँ (Features)

  • इनकी गति बहुत अधिक होती है।
  • इसका प्रयोग करने पर डाटा पुनः तैयार नहीं करना पडता ।
  • डाटा मेनुअल फीड नहीं किया जाता है जिससे गलती होने की संभावना भी कम रहती है।
  • OCR एक प्रिण्टिड फोर्स या हैण्डरिटन फॉर्म डॉक्युमेंट को टाइप करने में कम समय लेता है।
  • इसके द्वारा बदले हुए फॉर्मेट को वर्ड प्रोसेसर में एडिट भी किया जा सकता है।
  • इसके उपयोग से पुराने दस्तावेज को भी आसानी से पढ़ा जा सकता है।

 लाभ (Advantages)

  • यह कंप्यूटर में डेटा प्राप्त करने के लिए आवश्यक मानवीय प्रयासों के कुछ दोहराव को समाप्त करता है। 

नुकसान (Disadvantages)

  • जब पढ़ा जाने वाला दस्तावेज़ खराब टाइप किया गया हो या उस पर स्ट्राइक या मिटाए गए हों तो ओसीआर के लिए पात्रों को पहचानना मुश्किल हो जाता है।
  • यह महंगा है।

(9) ऑप्टिकल बार रीडर (OBR)

बारकोड पहले से तैयार किए गए लाइनों का एक फॉर्मेट होता है बार कोड रीडर इन लाइनों की संख्या , इनके बीच में छोड़े गए रिक्त स्थान, उत्पाद का मूल्य, उत्पाद का नाम, उत्पादन तिथि आदि को पढ़कर, वस्तु की वैधता अथवा अवैधता की जांच करता है OBR स्वत: ही इन डाटा को कंप्यूटर में फिट कर देता है जिससे गलती होने की संभावना नहीं रहती है। 

बार कोड रीडर का प्रयोग शॉपिंग मॉल, मेडिकल स्टोर, पोस्ट ऑफिस में बहुतायत काम में लिया जाता देखा जा सकता है

Optical Bar Reader (OBR)


(10) मैग्नेटिक इंक कैरेक्टर रीडर (MICR)

इस उपकरण का मुख्यत: उपयोग बैंकों में किया जाता है बैंकों के चैक में नीचे MICR द्वारा बैंक की कोड संख्या, ग्राहक खाता संख्या तथा बैंक की राशि दिखाई जाती है किसी चैक को पढ़ने के लिए उसे MICR के नीचे से गुजरते हैं।

Magnetic Ink Character Reader (MICR)

विशोषताँ (Features)
  • इसके द्वारा चैकों को पूर्ण शुद्धता के साथ पढ़ा जा सकता है।
  • इसके द्वारा चैक की प्रोसेसिंग बडी तीव्रता से होती है।
  • MICR से पढ़े गए डाटा को सीधे कम्यूटर में डाला जा सकता है ।
  • MICR अक्षरों को मानक व मशीन दोनों द्वारा पढा जा सकता है।
  • MICR से तैयार किए गए डॉक्युमेंट को फर्जी (Fack) सिद्ध करना कठिन है।
  • इसके द्वारा तैयार डॉक्युमेंट मुड़ने तथा फटने पर भी पढ़ा जा सकता है

(11) डिजिटाइजर टेबलेट या ग्राफिक्स टेबलेट (Digitizer Tablet or Graphics Tablet)


इसे ग्राफिक्स टेबलेट भी कहते हैं जिस प्रकार कागज पर इमेज को बनाया जाता है ठीक उसी प्रकार डिजिटाइजर पर पेन द्वारा इमेज ग्राफिक्स को बनाया जाता है इसका प्रयोग मुख्यत: CAD (Computer Aided Design) में किया जाता है।
Digitizer Tablet


लाभ (Advantages)
  • स्क्रीन पर प्रदर्शित होने वाले रेखाचित्र कागज की तुलना में अधिक साफ-सुथरे और अधिक सटीक होते हैं।
  • डिजिटाइज़र इंटरैक्टिव ग्राफिक्स की क्षमता प्रदान करते हैं।
  • चित्रों को आसानी से बदला जा सकता है और उनके प्रभावों का शीघ्रता से विश्लेषण किया जा सकता है, इस प्रकार उपयोगकर्ता के समय की बचत होती है।
नुकसान (Disadvantages)
  • वे महंगे हैं।
  • वे उन अनुप्रयोगों के लिए उपयुक्त हैं जिनके लिए केवल उच्च रिज़ॉल्यूशन ग्राफिक्स की आवश्यकता होती है।

(12) स्कैनर (Scanner)

स्कैनर का प्रयोग पेपर पर लिखे हुए डाटा या छपे हुए चित्र और हस्तलिखित टेक्स्ट को डिजिटल रूप में बदलकर कंप्यूटर में स्टोर (भेजने) करने के लिए किया जाता हैं।

स्कैन करने के लिए फोटोकॉपी मशीन के समान लेजर तकनीक का प्रयोग किया जाता है, स्कैनर का प्रयोग किसी डॉक्यूमेंट को उसके वास्तविक रूप में स्टोर करने के लिए किया जाता है, स्टोर किए गए डॉक्यूमेंट में कुछ बदलाव (एडीटिंग) भी कर सकते हैं।

Scanner

विशोषताएँ (Features)

  • फ्लैटबेड (Flatbed) स्कैनर अधिक शुद्ध (Accurate) एवं उच्चतम गुणवत्ता की इमेज बनाते हैं।
  • स्कैनर द्वारा किसी भी प्रिण्टिड इमेज को डिजिटल फार्मेट मेंबल जा सकता है और उन्हें किसी अन्य डॉक्युमेण्ट में भी प्रयोग किया जा सकता है।

(13) माइक्रोफोन (Microphone)

माइक्रोफोन भी एक प्रकार का इनपुट युक्ति हैं यह ध्वनि तरंगो को ऑडियो सिगनल में बदलने का कार्य करता है। इसका प्रयोग कंप्यूटर पर बातचीत या साउंड रिकॉर्ड करने में किया जाता है। 

या

माइक्रोफोन एक प्रकार की इनपुट युक्ति है, जिसका प्रयोग कंप्यूटर को साउंड के रूप में इनपुट देने के लिए किया जाता है माइक्रोफोन को डिजिटल रूप में परिवर्तित करने के लिए एक सहायक हार्डवेयर की आवश्यकता होती है इस सहायक हार्डवेयर को साउंड कार्ड (Sound Card) कहते हैं, माइक्रोफोन को कंप्यूटर के साथ जोड़ा जाता है जिससे आवाज कंप्यूटर में रिकॉर्ड हो जाती है।

Microphone

विशोषताएँ (Features)

  • यह ऑडियो/साउण्ड (Audio/Sound) इनपुट करने में सहायक होता है।
  • यह साउण्ड दबाव को वोल्टेज में बदलता है।


(14) वेबकैम या वेबकैमरा (Webcam or Webcamera)

यह एक प्रकार का डिजिटल कैमरा है जिसे कंप्यूटर के साथ जोड़ा जाता है इसका प्रयोग वीडियो चैटिंग तथा वीडियो रिकॉर्डिंग आदि कार्यों के लिए किया जाता है और इसकी सहायता से हम किसी की फोटो भी निकाल सकते हैं।

यदि दो लोगों के कंप्यूटर में वेब कैमरा लगा है और कंप्यूटर इंटरनेट से जुड़ा हुआ है तो ही आसानी से एक दूसरे को देखकर बातचीत कर सकते हैं।

Webcamera

विशोषताएँ (Features)

  • वेबकैम सुरक्षा और सामान्य गतिविधियों पर नजर रखने के लिए विभिन्न स्थानों पर लगाया जाता है।
  • वेबकैम अपने कम उत्पादन की लागत और लचीलेपन के लिए जाना जाता है।


Saturday, June 19, 2021

प्रिंटर किसे कहते हैं? प्रिंटर कितने प्रकार के होते हैं

प्रिंटर क्या है? इसके कितने प्रकार होते हैं इसके उपयोग व जानकारी हिंदी में

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प्रिंटर (Printer)

प्रिंटर एक प्रकार का आउटपुट डिवाइस है जिसका प्रयोग कंप्यूटर से डाटा और सूचनाओं को किसी कागज पर प्रिंट करने के लिए किया जाता है यह ब्लैक और वाइट के साथ-साथ कलर डॉक्यूमेंट को भी प्रिंट कर सकता है। प्रिंट किए गए कॉपी को हार्ड कॉपी कहा जाता है।

प्रिंटर की विशेषताएं (Features of Printer)

  • एप्पल आईपैड (Apple iPad), आईफोन (iPhone) और आईपोड टच (iPod Touch) के द्वारा प्रिंट बहुत जल्दी से प्राप्त किए जा सकते हैं।
  • वायरलैस प्रिंटर्स के द्वारा तारों के कनैक्शन के बिना प्रिंट आसानी से और कहीं भी प्राप्त किए जा सकते हैं।

प्रिंटर के प्रकार Types of Printer

तकनीकी के आधार पर प्रिंटर निम्न प्रकार के होते हैं–

  1. इंपैक्ट प्रिंटर (Impact Printer)
  2. नॉन इंपैक्ट प्रिंटर (Non-impact Printer)

(1) Impact Printer

यह प्रिंटर टाइपराइटर की तरह होता है यह एक बार में केवल एक अक्षर लाइन की छाप सकता है, इस प्रकार की प्रिंटर में धातु के छोटे छोटे हथोंरे कार्बन के रिबन पर चोट करते हैं रिबन के नीचे पेपर रखा जाता है जिस पर प्रिंट लेना होता है जब हथौड़े द्वारा चोट दी जाती है तो पेपर पर प्रिंट आ जाता है। इंपैक्ट प्रिंटर निम्न प्रकार के होते हैं—

  • डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर (Dot Matrix Printer)
  • डेजी व्हील प्रिंटर (Daisy Wheel Printer)
  • बैण्ड प्रिंटर (Band Printer)
  • चैन प्रिंटर (Chain Printer)
  • ड्रम प्रिंटर (Drum Printer

  1. डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर – इस प्रकार के प्रिंटर में पिनों की एक पंक्ति होती है, जो कागज के ऊपरी सिरे पर रिबन से प्रहार करती है। जब पिन रिबन से प्रहार करते हैं तो डॉट्स (Dots) का एक समूह एक मैट्रिक के रूप में कागज पर पड़ता है, जिससे अक्षर या चित्र छप जाते हैं। इस प्रकार के प्रिंटर को पिन प्रिंटर भी कहते हैं। डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर एक बार में एक ही कैरेक्टर प्रिन्ट करता है। ये काफी धीमी गति से प्रिन्ट करते हैं तथा ज्यादा आवाज करते हैं, जिससे इन्हें कम्प्यूटर के साथ कम प्रयोग किया जाता है।
  2. डेजी व्हील प्रिंटर – डेजी व्हील प्रिंटर में कैरेक्टर की छपाई टाइपराइटर की तरह होती है। यह डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर की अपेक्षा अधिक रिजोल्यूशन की प्रिंटिंग करता है। तथा इसका आउटपुट, डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर की अपेक्षा ज्यादा विश्वसनीय होता है।
  3. बैंड प्रिंटर – यह प्रिंटर चेन प्रिंटर के समान होते हैं। इन प्रिंटरों में चेन के स्थान पर स्टील का पट्टा प्रयोग में लिया जाता है। इस पट्टे पर अक्षर उभरे रहते हैं एवं इसकी छपाई प्रक्रिया चेन प्रिंटर के समान ही होती है चेन या बैंड प्रिंटर में कैरेक्टर का मानक 48 कैरेक्टर सेट होता है। प्रिंटिंग गति बढ़ाने के लिए अक्षरों को बैंड या चेन पर दोहरा दिया जाता है। जिसे निश्चित स्थान तक चेन के अक्षरों को पहुंचने में समय ना लगे। इसलिए 64 set या 96 set वाले प्रिंटर में कुछ करैक्टर का सैट दोहरा कर दिया जाता है। यह भी लाइन प्रिंटर होते हैं।
  4. चैन प्रिंटर – इस प्रिंटर में तेज घूमने वाली एक चेन होती है, जिसे प्रिंट चेन कहते हैं। चेन में कैरेक्टर छपे होते है, प्रत्येक कड़ी में एक कैरेक्टर का फोंट (Font) होता हैं। प्रत्येक प्रिंट पोजीशन पर हैमर लगे होते हैं। जिससे हैमर कागज पर टकराकर एक बार में एक लाइन प्रिंट करता हैं। 
  5. ड्रम प्रिंटर – ये एक प्रकार के लाइन प्रिंटर होते हैं, जिसमें एक बेलनाकार ड्रम लगातार घूमता रहता है। इस ड्रम में अक्षर उभरे हुए होते हैं। ड्रम और कागज के बीच में एक स्याही से लगा हुआ रिबन होता है। जिस स्थान पर अक्षर छापना होता है, उस स्थान पर हैमर कागज के साथ-साथ रिबन पर प्रहार करता है। रिबन पर प्रहार होने से रिबन ड्रम में लगे अक्षर पर दबाव डालता है, जिससे अक्षर कागज पर छप जाता है।

(2) Non-impact Printer

ये कागज पर प्रहार नहीं करते बल्कि किसी अक्षर, चिन्ह को प्रिंट करने के लिए स्याही की फुहारा कागज पर छोड़ते हैं। 

या 

इस प्रकार के प्रिंटर में हथौड़े जैसी किसी वस्तु द्वारा रिबन पर चोट नहीं दी जाती है और प्रिंट करते समय आवाज नहीं करते हैं। नॉन इंपैक्ट प्रिंटर निम्न प्रकार होते हैं—

  • इंक जैट प्रिंटर (Ink Jet Printer)
  • लेजर प्रिंटर (Laser Printer)
  • थर्मल प्रिंटर (Page Printer) आदि।
  1. इंक जैट प्रिंटर – यह आवश्यक छवि बनाने के लिए कागज पर स्याही की बूंदों को प्रक्षेपित करने की तकनीक का उपयोग करता है। इंक-जेट प्रिंटर 64 छोटे नोजल के माध्यम से स्याही का छिड़काव करके सीधे कागज पर एक छवि बनाता है। यह लगभग 360 डॉट प्रति इंच का प्रिंट रिज़ॉल्यूशन प्रदान करता है।
  2. लेजर प्रिंटर – इस प्रिंटर के द्वारा उच्च गुणवत्ता के अक्षर और चित्र छापे जाते हैं यह विभिन्न प्रकार और स्टाइल के अक्षर को छाप सकता है इसकी छपाई की विधि फोटोकॉपी मशीन से मिलती-जुलती होती है‌। इसमें कंप्यूटर से भेजा गया डाटा लेजर किरणों की सहायता से इसके ड्रम पर चार्ज उत्पन्न कर देता है। इसमें एक टोनर होता है जो चार्ज के कारण ड्रम पर चिपक जाता है जब यह ड्रम घूमता है और इसके नीचे से कागज निकलता है, तो टोनर कागज पर अक्षरों या चित्रों का निर्माण करता है। यह प्रिंटर अपनी क्षमता के अनुसार 1 इंच से 300 से 1200 बिंदुओं की सघनता (Density) द्वारा छपाई कर सकते हैं। यह 1 मिनट में 5 से 24 पेज तक छाप सकता हैं।
  3. थर्मल प्रिंटर – यह पेपर पर अक्षर छापने के लिए उष्मा का प्रयोग करता है। उष्मा के द्वारा स्याही को पिघला कर कागज पर छोड़ते हैं, जिससे अक्षर या चित्र छपते हैं। फैक्स मशीन भी एक प्रकार का थर्मल प्रिंटर है या अन्य प्रिंटर की अपेक्षा धीमा और महंगा होता है। तथा इसमें प्रयोग करने के लिए एक विशेष प्रकार के पेपर की जरूरत पड़ती है जो कि केमिकली ट्रीटिड पेपर होता है।
लाभ (Advantages)
  1. वे तेज और शांत हैं 
  2. उनके पास टाइपफेस (Typefaces) को स्वचालित रूप से बदलने की क्षमता और उच्च गुणवत्ता वाले ग्राफिक्स बनाने की उनकी क्षमता है।

गति के आधार पर तीन प्रकार के होते हैं—

(1) करैक्टर प्रिंटर (Character Printer)

इस प्रकार के प्रिंटर एक समय में एक कैरेक्टर प्रिंट करते हैं। इसकी गति सी.पी.एस. (Character Per Second) से मापी जाती है। 

इस प्रकार के प्रिंटर निम्न है—

  • डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर (Dot Matrix Printer)
  • डेजी व्हील प्रिंटर (Daisy Wheel Printer)
  • इंकजेट प्रिंटर (Ink Jet Printer)

(2) लाइन प्रिंटर (Line Printer)

इस प्रकार के प्रिंटर एक समय में एक पूरी लाइन छपते हैं और तीव्र गति से कार्य करते हैं इसमें अधिकतम इम्पैक्ट तकनीक का प्रयोग किया जाता है। इसकी गति एल.पी.एम. (Line Per Minute) होती है यह एक मिनट में 300 से 2500 लाइनों को प्रिंट कर सकते हैं एक लाइन में 132 से 136 शब्दों को प्रिंट कर सकते हैं।

इनके उदाहरण निम्न है—

  • बैंड प्रिंटर (Band Printer)
  • चैन प्रिंटर (Chain Printer)
  • ड्रम प्रिंटर (Drum Printer)
  1. बैंड प्रिंटर – यह प्रिंटर चेन प्रिंटर के समान होते हैं। इन प्रिंटरों में चेन के स्थान पर स्टील का पट्टा प्रयोग में लिया जाता है। इस पट्टे पर अक्षर उभरे रहते हैं एवं इसकी छपाई प्रक्रिया चेन प्रिंटर के समान ही होती है चेन या बैंड प्रिंटर में कैरेक्टर का मानक 48 कैरेक्टर सेट होता है। प्रिंटिंग गति बढ़ाने के लिए अक्षरों को बैंड या चेन पर दोहरा दिया जाता है। जिसे निश्चित स्थान तक चेन के अक्षरों को पहुंचने में समय ना लगे। इसलिए 64 set या 96 set वाले प्रिंटर में कुछ करैक्टर का सैट दोहरा कर दिया जाता है। यह भी लाइन प्रिंटर होते हैं।
  2. चैन प्रिंटर – इस प्रिंटर में तेज घूमने वाली एक चेन होती है, जिसे प्रिंट चेन कहते हैं। चेन में कैरेक्टर छपे होते है, प्रत्येक कड़ी में एक कैरेक्टर का फोंट (Font) होता हैं। प्रत्येक प्रिंट पोजीशन पर हैमर लगे होते हैं। जिससे हैमर कागज पर टकराकर एक बार में एक लाइन प्रिंट करता है।
  3. ड्रम प्रिंटर – ये एक प्रकार के लाइन प्रिंटर होते हैं, जिसमें एक बेलनाकार ड्रम लगातार घूमता रहता है। इस ड्रम में अक्षर उभरे हुए होते हैं। ड्रम और कागज के बीच में एक स्याही से लगा हुआ रिबन होता है। जिस स्थान पर अक्षर छापना होता है, उस स्थान पर हैमर कागज के साथ-साथ रिबन पर प्रहार करता है। रिबन पर प्रहार होने से रिबन ड्रम में लगे अक्षर पर दबाव डालता है, जिससे अक्षर कागज पर छप जाता है।

(3) पेज प्रिंटर (Page Printer)

इस प्रकार के प्रिंटर तीव्र गति वाले नॉन इंपैक्ट प्रिंटर होते हैं जो एक मिनट में 20,000 लाइनें प्रिंट कर सकते हैं।इसका उदाहरण इलेक्ट्रॉनिक जेरोक्स मशीन है इसमें इलेक्ट्रोक्रोमिक तकनीक का प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार की प्रिंटर महंगे होते हैं एवं इसकी प्रिंटिंग उच्चकोटि की होती हैं। जैसे— लेजर प्रिंटर आदि।

हार्ड कॉपी और सॉफ्ट कॉपी किसे कहते है

हार्ड कॉपी और सॉफ्ट कॉपी पूरी जानकारी हिंदी में

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सॉफ्ट कॉपी (Soft Copy)

कंप्यूटर में इनपुट किए गए डाटा को सॉफ्ट कॉपी कहते हैं। उदाहरण के लिए मार्कशीट (हार्ड कॉपी) को स्कैैैैनर द्वारा स्कैनिंग कर कंप्यूटर में इनपुट करना । 

या

स्कैनर स्कैनिंग करके हार्ड कॉपी को सॉफ्ट कॉपी में बदल देता है।

या

प्रोसेसिंग के पश्चात प्राप्त परिणाम स्क्रीन पर प्रदर्शित हो या आवाज के रूप में प्रदर्शित किए जाए तो यह सॉफ्ट कॉपी कहलाती है। यदि परिणामों को मेमोरी उपकरणों (Storage Device) में भेजा जाए तो भी यह सॉफ्ट कॉपी कहलाती है।


हार्ड कॉपी (Hard Copy) 

जो यूजर द्वारा कम्प्युटर में इनपुट किया गया डाटा होता है उसे प्रिंटर के द्वारा उस डाटा एक कागज में प्राप्त करना हार्ड कॉफी कहलाता है। 

या 

प्रिंटर प्रिंट के माध्यम से सॉफ्ट कॉफी को हार्ड कॉफी में बदल देता है।

या

जब परिणामों को प्रिंटर या प्लॉटर द्वारा प्रिंट किया जाता है, तो यह हार्ड कॉपी कहलाती है। हार्ड कॉपी परिणामों की स्थायी कॉपी होती है। एवं इसे बिना कंप्यूटर की सहायता से पढ़ा जा सकता है।


Friday, June 18, 2021

Mouse kya hai in hindi !! mouse kitane prakar ke hote hai

माउस क्या है? इसके कितने प्रकार होते हैं इसकी पूरी जानकारी हिंदी में


इनपुट डिवाइस/युक्तियां (Input Devices)

वे डिवाइस जिनका प्रयोग उपयोगकर्ता (User) के द्वारा कंप्यूटर को डाटा और निर्देश को प्रदान करने के लिए किया जाता है इनपुट युक्तियां कहलाती है इनपुट युक्तियां उपयोगकर्ता से इनपुट लेने के बाद इसे मशीनी भाषा में परिवर्तित करके सीपीयू के पास भेज देती है।

माउस (Mouse)

माउस हाथ में पकड़ कर चलाई जाने वाली एक इनपुट डिवाइस है यह एक केबल द्वारा सी.पी.यू. से जुड़ा रहता है इसका उपयोग मॉनिटर पर कर्सल को कंट्रोल करने में किया जाता है वह एक छोटी डिब्बी के आकार का होता है इसको हाथ से पकड़ कर एक समतल पैड (Mouse Pad) पर सरकाया जाता है जिसे माउस पैड कहते हैं।

माउस में दो या तीन बटन हो सकते हैं जिससे स्क्रीन पर चाहे गए आइटम को क्लिक करके चुना जा सकता है।

मॉनिटर के ऊपर एक तीर के समान चिन्ह होता है जिसे माउस प्वाइंटर कहते हैं।

माउस का प्रयोग गेम खेलने तथा विंडोज, डेस्कटॉप प्रकाशन, ग्राफिक्स आदि ग्राफिकल यूजर इंटरफेस (GUI-Graphical User Interface) आधारित प्रोग्रामों अथवा कार्यों में अनिवार्य रूप से किया जाता 

एक माउस की निम्न अवयव होते हैं–

  • माउस के ऊपर एक रूलर गेंद जो कर्सल की स्थिति को स्क्रीन पर बदलती है।
  • माउस में दो बटन होते हैं जो स्क्रीन पर चुनने का कार्य करते हैं।
  • माउस में एक वायर होता है जो माउस को सी.पी.यू. से जोड़ती है

विशेषताएं (Featured)

  • इससे ऑब्जेक्ट्स और ऑप्शन्स को आसानी से सिलेक्ट किया जा सकता है।
  • इसका पॉइंट डिवाइस के लिए अधिकतम प्रयोग किया जाता है।

माउस के प्रकार Types of Mouse

माउस मुख्यतः निम्न प्रकार के होते हैं—

(1) मैकेनिकल माउस (Mechanical Mouse)

इस माउस में नीचे की ओर एक बॉल होती है जिसमें कर्सल यह पॉइंट का घुमाव, बॉल के घुमाव के आधार पर होता हैं।

Mechanical Mouse

(2) ऑप्टिकल माउस (Optical Mouse)

इस माउस में बॉल के स्थान पर एल.आई.डी. (LED) का प्रयोग किया जाता है इसमें कर्सल का घुमाव डायोड या फोटोडायोड की नीचे वाली लाइन के घुमाव के आधार पर होता है।

Optical Mouse

(3) वायरलेस माउस (Wireless Mous)

इसमें तारों का प्रयोग होने के कारण इसे वायरलेस माउस कहा जाता है यह रेडियो फ्रीक्वेंसी तकनीक की सहायता से आपके कंप्यूटर को सूचना कम्युनिकेट करता है।

Wireless Mous

माउस का उपयोग कैसे करें (How to use the mouse)

तीन सरल तकनीकें हैं- क्लिक करना, डबल-क्लिक करना और खींचना

क्लिक करना (Clicking) 

माउस से किसी चीज पर क्लिक करने का मतलब स्क्रीन पर मौजूद आइटम पर पॉइंटर या कर्सर ले जाना और रिलीज माउस बटन को एक बार दबाना है।

डबल-क्लिक (Double Clicking)

माउस बटन को तेजी से लगातार दो बार दबाएं और छोड़ें।

ड्रैगिंग (Dragging)

माउस पॉइंटर को आइटम के ऊपर रखने के बाद, बटन को दबाएं और माउस को हिलाने पर उसे दबाए रखें।

माउस के फायदे और नुकसान

लाभ (Advantage)

  1. उपयोग करने में बहुत आसान
  2. माउस की सहायता से कंप्यूटर स्क्रीन पर कहीं भी आसानी से पहुंचा जा सकता है।

हानि (Disadvantage)

  1. संचालित करने के लिए एक समतल/सपाट सतह की आवश्यकता होती है।
  2. अच्छी मात्रा में डेस्क स्पेस की आवश्यकता होती है।


Thursday, June 17, 2021

कीबोर्ड क्या है? यह कितने प्रकार के होते हैं

 कंप्यूटर के इनपुट डिवाइस कीबोर्ड की पूरी जानकारी हिंदी में


हार्डवेयर (Hardware)

कंप्यूटर के सभी कलपुर्जे, भागो, उपकरणों आदि को हार्डवेयर कहा जाता है हार्डवेयर को हम आंखों से देखते तथा हाथों से छू सकते हैं हार्डवेयर स्वयं कोई कार्य नहीं करता इससे कार्य कराने के लिए सॉफ्टवेयर का प्रयोग किया जाता है कंप्यूटर के में प्रयुक्त होने वाली हार्डवेयर का वितरण निम्न प्रकार है।

इनपुट डिवाइस/युक्तियां (Input Devices)

वे युक्तियां जिनका प्रयोग उपयोगकर्ता के द्वारा कंप्यूटर को डाटा और निर्देश को प्रदान करने के लिए किया जाता है इनपुट युक्तियां कहलाती है इनपुट युक्तियां उपयोगकर्ता (User) से इनपुट लेने के बाद इसे मशीनी भाषा में परिवर्तित करके सीपीयू के पास भेज देती है।

एक अच्छे डेटा इनपुट के लिए चार महत्वपूर्ण विशेषताएं है —

  • समयबद्धता (Timelines)
  • शुद्धता और (Accuracy and)
  • संभावित उपयोगिता (Potential Usefulness)
  • स्रोत दस्तावेज़ (Source Document)
(1) समयबद्धता– समय पर डेटा वह डेटा है जो कार्रवाई के लिए पर्याप्त तेज़ी से एकत्र और संसाधित किया जाता है। उदाहरण के लिए, बिजली विभाग में ऑन-लाइन सिस्टम में वोल्टेज और करंट का डेटा लगातार इनपुट होता है। जब भी वोल्टेज या करंट का डेटा खतरे के निशान से नीचे या ऊपर होता है, यानी डेटा को भी एक साथ प्रोसेस किया जाता है। अलार्म चालू हो जाता है और पूरा सिस्टम बंद हो जाता है ।

(2) शुद्धता– अलार्म को चालू करने के लिए सूचनात्मक जरूरतों को सहेजने के लिए डेटा सटीक होना चाहिए। उदाहरण के लिए, अलार्म किसी अन्य पर नहीं चलना चाहिए जो निर्दिष्ट मान के बराबर नहीं है।

(3) संभावित उपयोगिता– डेटा कच्चा होता है और तब तक किसी काम का नहीं होता जब तक कि यह तार्किक, आवश्यकता से संबंधित न हो। जब इस डेटा को संसाधित किया जाता है तो यह एक जानकारी बन जाती है जो निर्णय लेने में मदद करती है। तो कम्प्यूटरीकृत इनपुट की तैयारी उपयोगी जानकारी के निर्माण में पहला कदम है।

(4) स्रोत दस्तावेज़– अधिकांश व्यावसायिक सूचना प्रणालियों में, स्रोत दस्तावेज़ मैन्युअल रूप से तैयार किए जाते हैं। स्रोत दस्तावेजों के उदाहरणों में कर्मचारी आवेदन पत्र, जमा पर्ची, चालान और बिक्री टिकट शामिल हैं।

कुछ प्रमुख इनपुट युक्तियां जो निम्न है:—

की-बोर्ड (Key-Board) 

यह इनपुट का महत्वपूर्ण उपकरण है जो टाइपराइटर के समान दिखाई देता है किसी भी टेक्स्ट या डाटा निर्देश इसी के द्वारा कंप्यूटर को दिए जाते हैं इस पर अक्षर, अंक और संकेत लिखे होते हैं जिन्हें कीज कहते हैं ।इसका प्रयोग कंप्यूटर में डाटा एवं निर्देश को कंप्यूटर की मेमोरी तक पहुंचाने में किया जाता है । यह कीबोर्ड में 104 की कीज होते हैं ।

कुछ विभिन्न प्रकार के कीबोर्ड जैसे— QWERTY, DVORAK और AZERTY मुख्य रूप से प्रयोग किए जाते हैं‌।

लाभ (Advantages)

  • चूंकि इसे मैन्युअल रूप से तैयार किया जा सकता है इसलिए इसे किसी कंप्यूटर पृष्ठभूमि या प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं है। 
  • स्रोत दस्तावेज़ कंप्यूटर फ़ाइलों के लिए बैकअप के रूप में काम कर सकते हैं। यह कंप्यूटर फ़ाइल बनाने के लिए स्रोत दस्तावेज़ के उपयोग के कारण है, इसलिए स्रोत दस्तावेज़ का उपयोग फ़ाइल को गलती से क्षतिग्रस्त या नष्ट होने की स्थिति में फिर से बनाने के लिए भी किया जा सकता है। 
  • स्रोत दस्तावेज़ प्रामाणिकता का प्रमाण प्रदान करने में मदद करता है। 
  • स्रोत दस्तावेज़ एक ऑडिट ट्रेल स्थापित करते हैं। ऑडिट ट्रेल घटनाओं के अनुक्रम को जोड़ने वाले तार्किक पथ के रूप में डेटा है, जिसका उपयोग रिकॉर्ड की सामग्री को प्रभावित करने वाले लेनदेन का पता लगाने के लिए किया जाता है। 

नुकसान (Disadvantages)

  • स्रोत दस्तावेज़ शायद ही कभी मशीन पठनीय होते हैं। इसलिए, स्रोत दस्तावेज़ डेटा को संसाधित करने के लिए, डेटा को बाइनरी रूप में स्थानांतरित किया जाना चाहिेए।
विशेषताएं (Featured)

  • इसके द्वारा डाटा को कंप्यूटर में सही तरीके से भेजा जा सकता है‌।
  • इसमें विभिन्न प्रकार के डाटा को भेजा जा सकता हैं।

Types of keyboard कीबोर्ड के प्रकार—

  1. Normal Keyboard (साधारण की-बोर्ड)
  2. Wireless Keyboard (तार रहित की-बोर्ड)
  3. Ergonomic Keyboard (एर्गोनोमिक की-बोर्ड)

1) Normal Keyboard– इस सामान्य प्रकार के कीबोर्ड का उपयोग सबसे ज्यादा होता है। ये एक साधारण सा कीबोर्ड होते है इसमें टोटल 101 बटन होते है।



2) Wireless Keyboard– इस की-बोर्ड को किसी भी कंप्यूटर में कनेक्ट करने के लिए वायर की जरुरत नहीं पड़ती है। इसे कंप्यूटर या लैपटॉप में ब्लूटूथ तकनीक द्वारा जोड़ा जाता है। और इनमे बैट्री लगती हैं जो एक निश्चित समय तक चलती है। और इसके बाद इसे बदलना पड़ता है।



3) Ergonomic Keyboard– इस प्रकार के कीबोर्ड अधिकतर अंग्रेजी के अक्षर वी [V] के आकार के बनाये जाते है। इनका मुख्य उद्देश्य हाथों के तनाव को कम करना है। इसका डिजाइन थोड़ा टेढ़ा मेढा होता है इस कीबोर्ड के निचे की तरफ कुछ जगह ज्यादा होती है। इसमें साधारण की-बोर्ड के मुकाबले ज्यादा बटन होते है।



इन तीनों मुख्य की-बोर्ड के अतिरिक्त बाजार में उपयोग के आधार पर और भी कीबोर्ड उपलब्ध हैं जो निम्न है—

  • Flexible Keyboard
  • Projection Keyboard
  • Gaming Keyboard
  • Mechanical Keyboard
  • Membrane Keyboard
  • Multimedia Keyboard आदि।


Types of keyboard Keys की-बोर्ड कीज के प्रकार–

  1. Alphanumeric keys
  2. Numeric keys
  3. Function keys
  4. Special purpose keys
  5. Modifier keys
  6. Arrow keys
  7. Other Keys 

(1) Alphanumeric keys– (A से Z एवं a से z) इन कुंजियों को अकेले दबाने पर अंग्रेजी वर्णमाला के छोटा (Small) अक्षर टाइप होता है तथा शिफ्ट (Shift) के साथ दबाने पर बड़ा (Capital) अक्षर टाइप होता है इसकी कुल संख्या 26 है।

(2) Numeric keys – वर्णमाला कुंजियों से ऊपर की कतार में संख्या कुंजियां होती है इन कुंजियों से 0 से 9 तक के अंक टाइप किए जाते हैं ।

(3) Function keys – यह कुंजीयां कीबोर्ड में सबसे ऊपर स्थित होता है यह F1 से F12 तक होता है इन कीज का प्रयोग अलग-अलग सॉफ्टवेयर में अलग-अलग कार्यों को संपादित करने के लिए किया जाता हैं।

(4) Special purpose keys – वे कुंजियां कुछ विशेष कार्यों को करने के लिए प्रयोग में ली जाती है।

  • Start Key – इसके द्वारा हम कंप्यूटर के सभी प्रोग्रामों की लिस्ट देख सकते हैं।
  • Enter Key – यह हमारे द्वारा तैयार किए गए किसी आदेश को कंप्यूटर में भेजने का कार्य करता हैं।
  • Home Key – यह कर्सल को लाइन के आरंभ में ले जाता है।
  • End Key – यह कर्सल को लाइन के अंत में ले जाता है।
  • Page Up Key – यह कर्सल को एक पेज पहले ले जाने के लिए किया जाता है।
  • Page Down Key – यह कर्सल को एक पेज आगे (बाद में) ले जाने के लिए किया जाता है।
  •  Backspace Key – यह स्क्रीन पर एक-एक अक्षर को मिटाने हुए कर्सल को बाई ओर ले जाता है।
  • Space Bar Key – यह की-बोर्ड की सबसे लंबी कुंजी होती है इसका उपयोग एक खाली स्थान छोड़ने के लिए किया जाता है।
  • Delete Key – यह कर्सल की ऊपर उपस्थित अक्षर को मिटाने का कार्य करता है।
  • Tab key – यह कर्सल को 5-5 स्थान दाएं से बाएं ओर ले जाने का कार्य करता है‌।
  • Esc Key – यह कंप्यूटर प्रोसेसिंग के दौरान रोकने का काम करता है।

(5) Modifier keys – इनमें तीन कुंजियां होती है जिनको अकेले दबाने से कोई कुछ नहीं होता पर किसी अन्य कुंजी के साथ प्रयोग करने पर उन कुंजियों के इनपुट बदल जाती है।

  • Ctrl Key – इस कुंजी का उपयोग किसी विशिष्ट उद्देश्य को करने के लिए अन्य कुंडलियों के साथ संयुक्त रूप से किया जाता है। जैसे— Ctrl+A, Ctrl+C ।
  • Alt Key – इस कुंजी का भी उपयोग कंट्रोल कुंजी की तरह कुछ शॉर्टकट आदेशों में किया जाता है।
  • Shift Key – यह संख्या में दो होती है इसका उपयोग अंग्रेजी वर्णमाला के बड़े अक्षर टाइप करने के लिए किया जाता है यदि किसी कुंजी पर दो चिन्ह छपे हैं तो शिफ्ट के साथ दबाने पर ऊपर का चिन्ह टाइप होता है

(6) Arrow  keys – यह कर्सल को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाती है यह कर्सल को ⬆️ऊपर Up, ⬇️नीचे Down, ⬅️दाएं Left, ➡️बाएं Right ले जाती है।

(7) Other Keys – उपयोग करने वाले कुंजियां के अतिरिक्त कीबोर्ड में अन्य कुंजियां होती है जैसे— Pause/Break, Print Screen, Scroll Lock आदि। इसका विशेष उपयोग होता है।


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