कोरोनावायरस क्या है इससे कैसे बचें बचने के लिए क्या करें आइए जाने पूरी जानकारी हिंदी में
(COVID-19) कोरोनावायरस एक घातक संक्रमण रोग है। जिसने घातक रूप से पूरे विश्व को अपने चपेट में ले रखा है। भारत में भी यह पूरी तरह पांव पसार चुका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस को प्रारंभ में नोवल कोरोना वायरस कहां, जिसको बाद में कोविड-19 नामकरण करते हुए दिनांक 11-02-2020 को उसे एक वैश्विक महामारी की संज्ञा दी।
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Coronavirus in hindi |
कोविड-19 का अर्थ–
CO–CORONA, VI–VIRUS, D–DISEASE, 19–YEAR 2019
यह सामान्य फ्लू (कोरोना वायरस) सर्दी, जुखाम वाली बीमारी में से अलग है। सावधानी ही इस का बचाव है।
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संक्रमित रोगियों के सामान्य लक्षण—
- सिर दर्द बहुत तेज बुखार आना।
- सर्दी जुकाम व खांसी लगातार बने रहना।
- गली में दर्द व सांस लेने में परेशानी होना।
- छींके आना।
- सुगंध का, स्वाद का अनुभव न होना आदि।
अब बहुत से संक्रमित रोगियों में यह बिना लक्षण के भी टेस्ट पॉजिटिव पाए जा रहे हैं। यह एक स्वास रोग है, जिसमें वायरस नाक, आंख एवं मुंह से होते हुए फेफड़े तक पहुंच कर अपने जैसा बढ़ते–बढ़ते लाखों वायरस पैदा कर लेता है, जिस से श्वास लेने में परेशानी होती है। कोरोना वायरस शरीर में विद्यमान रोग प्रतिरोधी क्षमता (इम्यूनिटी) वाली कोशिकाओं से लड़ता है। जब हमारे भीतर की रोग प्रतिरोधी कोशिकाएं बाहर से प्रविष्ट कोरोना वायरस को मार नहीं पातीं, तब व्यक्ति कोरोना संक्रमित हो जाता है।
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कोरोनावायरस के सामान्य लक्षण–
कोविड-19 वायरस, अलग-अलग लोगों को अलग-अलग तरह से प्रभावित करता हैै। संक्रमित हुए ज़्यादातर लोगों को थोड़े से लेकर मध्यम लक्षण तक की बीमारी होती है और वे अस्पताल में भर्ती हुए बिना ठीक हो जाते हैं।
आम लक्षण—
कम पाए जाने वाले लक्ष्ण—
- खुजली और दर्द
- गले में खराश
- दस्त होना
- ऑंख आना
- सरदर्द होना
- स्वाद और गंध न पता चलना
- त्वचा पर चकत्ते आना या हाथ या पैर की उंगलियों का रंग बदल जाना
गंभीर लक्षण—
- सांस लेने में दिक्कत या सांस फूलना
- सीने में दर्द या दबाव
- बोलने या चलने-फिरने में असमर्थ
गंभीर लक्ष्ण दिखने पर तुरंत चिकित्सा सहायता लें। अपने डॉक्टर के पास या अस्पताल में जाने से पहले हमेशा फ़ोन करके जाएं।
जो लोग स्वस्थ्य हैं और उन्हें वायरस के थोड़े-बहुत लक्षण दिखाई दे रहे हैं, तो उन्हें घर पर ही रहना चाहिए।
वायरस से संक्रमित होने के बाद, इसके लक्षण दिखाई देने में आम तौर पर 5–6 दिन लगते हैं। हालांकि, कुछ मामलों में लक्षण दिखने में 14 दिन भी लग सकते हैं।
व्यक्तियों द्वारा मास का उपयोग–
लक्ष्मण रहित लोगों में मास्क का के प्रयोग की आवश्यकता नहीं है—
- ऐसे व्यक्ति जिनमें खांसी, बुखार के कोई लक्षण नहीं होते हैं। उन्हें मास्क का उपयोग करने की आवश्यकता नहीं है।
- स्वस्थ व्यक्ति द्वारा मास्क का उपयोग करने से उन्हें स्वास्थ्य लाभ के कोई वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है।
कोरोनावायरस संक्रमण के बचाव के लिए मास्क की अपेक्षा निम्न उपाय अधिक प्रभावी होंगे—
- साबुन से बार-बार (कम से कम 40 सेकंड तक) हाथ धोएं।
- अल्कोहल युक्त (70%) सैनिटाइजर का उपयोग भी किया जा सकता है। (20 सेकंड तक)
- खासते या छिंकते समय नाक व मुंह को टिशू पेपर या रूमाल से ढक लें।
- नाक, मुंह, आंख या चेहरे को छूने से बचे वह भीड़ वाले स्थानों में जाने से बचे।
- खांसने या छिंकने वाले व्यक्ति से 1 मीटर की दूरी बनाए रखें।
- अपने शरीर के तापमान की जांच नियमित रूप से करते रहें।
- सर्दी, खांसी, बुखार के लक्षण उत्पन्न होने पर चिकित्सक की सलाह लें।
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व्यक्तियों द्वारा मास्क का उपयोग कब करें—
- जब खांसी या बुखार के लक्षण हों।
- जब किसी अस्पताल में जाएं।
- जब किसी मरीज की देखभाल करनी हो।
- किसी संभावित या पॉजिटिव मरीज के निकट (जिनका घर में उपचार चल रहा हो) संपर्क में आने वाली परिवार के लोग।
मास्क–
मास्क लगाने पर, मास्क लगाने वाले व्यक्ति से दूसरे लोगों में वायरस फैलने से रोकने में मदद मिलती है. सिर्फ़ मास्क लगाकर कोविड-19 से नहीं बचा जा सकता है। हमें साथ में शारीरिक दूरी बनाए रखनी होगी और हाथों को साफ रखना होगा। स्थानीय स्वास्थ्य विभाग की ओर से दी गई सलाह माने।क्या करें–
- बार-बार हाथ धोएं जब आपके हाथ स्पष्ट रूप से गंदे ना हो, तब भी अपने हाथों को अल्कोहल आधारित हैंडवाश या साबुन और पानी से साफ करें।
- छिंकते और खांसते समय अपना मुंह व नाक टिशू/रुमाल से ढकें।
- प्रयोग के तुरंत बाद किसी बंद डिब्बे या डस्टबिन में फेंक दें।
- अगर आपको बुखार, खांसी और सांस लेने में कठिनाई है। तो डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर से मिलने के दौरान अपने मुंह और नाक को ढकने के लिए मास्क/कपड़े का प्रयोग करें।
- अगर आप में कोरोना वायरस के लक्ष्ण है, तो कृपया राज्य हेल्पलाइन नंबर या स्वास्थ्य मंत्रालय की 24X7 हेल्पलाइन नंबर 011-23978046 पर कॉल करें।
- भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचे।
क्या ना करें–
- यदि आपको खांसी और बुखार का अनुभव हो रहा हो, तो किसी के साथ संपर्क में ना आए।
- अपनी आंख, नाक मुंह को न छुयें।
- सार्वजनिक स्थानों पर ना थूकें।
कोरोनावायरस रोकथाम –
आप तथ्यों की जानकारी रखकर और ज़रूरी सावधानियां अपनाकर, आप खुद को और अपने आस-पास के लोगों को सुरक्षित रख सकते हैं. स्थानीय स्वास्थ्य विभाग की ओर से दी गई सलाह मानें।
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कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए—
- बार-बार हाथ धोएं. हाथ धोने के लिए, साबुन और पानी या एल्कोहल वाला हैंड रब इस्तेमाल करें।
- अगर कोई खांस या छींक रहा है, तो उससे उचित दूरी बनाए रखें।
- शारीरिक दूरी बनाना संभव न हो, तो मास्क लगाएं।
- आंखें, नाक या मुंह को न छुए।
- खांसने या छींकने पर नाक और मुंह को कोहनी या टिश्यू पेपर से ढक लें।
- अगर आप ठीक नहीं महसूस कर रहे हैं, तो घर पर रहें।
- अगर आपको बुखार, खांसी है। और सांस लेने में परेशानी हो रही है, तो डॉक्टर के पास जाएं।
आपको स्वस्थ्य सेवा देने वाली संस्था से पहले ही संपर्क कर लें, ताकि वह आपको बता दे कि इलाज के लिए कहां जाना चाहिए। यह आपको बचाता है और वायरस और अन्य संक्रमणों को फैलने से रोकता है।
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खुद की देखभाल –
लक्षणहीन मामले, COVID-19 के हल्के मामले—
- अपने आपको एक हवादार कमरे में सबसे अलग रखें।
- तीन परतों वाले मेडिकल मास्क का उपयोग करें, 8 घंटे में इसे बदल दें या इससे पहले अगर ये गीले या गंदे हो जाएं. अगर देखभाल करने वाला कमरे में आता है, तो उसे और मरीज़ दोनों को एन 95 मास्क इस्तेमाल करना चाहिए।
- मास्क को 1% सोडियम हाइपोक्लोराइट से कीटाणुरहित करने के बाद ही फेंकना चाहिए।
- आराम करें और पर्याप्त हाइड्रेशन बनाए रखने के लिए ढेर सारे तरल पदार्थ पिएं।
- हर समय सांस लेने से जुड़े शिष्टाचारों का पालन करें।
- कम से कम 40 सेकंड के लिए साबुन और पानी से बार-बार हाथ धोएं या अल्कोहल वाले सैनिटाइज़र से हाथ साफ़ करें।
- घर के अन्य लोगों के साथ व्यक्तिगत सामान न शेयर करें।
- कमरे की उन सतहों को 1% हाइपोक्लोराइट सॉल्यूशन से पक्के तौर पर साफ़ करें जिन्हें अक्सर छुआ जाता है।
- रोज़ शरीर के तापमान पर नज़र रखें।
- पल्स ऑक्सीमीटर से रोज़ ऑक्सीजन सैचुरेशन पर नज़र रखें।
- लक्षणों में कोई भी बढ़ोतरी नज़र आने पर, इलाज करने वाले चिकित्सक से तुरंत संपर्क करें।
देखभाल करने वालों के लिए निर्देश—
मास्क– देखभाल करने वाले को तीन परतों वाला मेडिकल मास्क पहनना ज़रूरी है। जिस कमरे में मरीज़ है उसी कमरे में होने पर एन 95 मास्क पहनना बेहतर होगा।
हाथों की स्वच्छता– बीमार व्यक्ति या मरीज़ के आस-पास की चीज़ों के संपर्क में आने के बाद हाथों की स्वच्छता सुनिश्चित की जानी चाहिए।
मरीज़/मरीज़ के आस-पास की चीज़ों से संपर्क– मरीज़ के शरीर के तरल पदार्थ, विशेष रूप से मुंह या सांस से निकले वाले स्राव के सीधे संपर्क से बचें। मरीज़ की देखभाल करते समय डिस्पोज़ेबल दस्ताने पहनें। दस्ताने पहनने और निकालने के बाद हाथों की स्वच्छता सुनिश्चित करें।
वैक्सीन कितने प्रकार के होते हैं आइए ने पूरी जानकारी हिंदी में
पिछले एक साल से दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है। यह वायरस अब तक करोड़ों लोगों को संक्रमित कर चुका है। जबकि इसकी वजह से लाखों लोग अपनी जान भी गंवा चुके हैं। हालांकि अब ज्यादा चिंता की बात नहीं है, क्योंकि इस बीमारी को खत्म करने के लिए वैक्सीन का निर्माण हो चुका है और ब्रिटेन और अमेरिका जैसे देशों में तो टीकाकरण अभियान भी चल रहे हैं। हालांकि अभी भी बहुत सारे लोग ऐसे हैं जो यह जानने के लिए बेताब हैं कि आखिर वैक्सीन कैसे काम कर रही है, उसका असर क्या होगा और कितने समय तक उसका असर रहेगा? इसके साथ ही बहुत सारे लोगों को ये भी नहीं पता होगा कि अलग-अलग कंपनियों ने जो वैक्सीन बनाई हैै। विशेषज्ञों के मुताबिक, मूल रूप से देखें तो |
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कोरोना वैक्सीन चार प्रकार की हैं—
- प्रोटीन आधारित वैक्सीन,
- वायरल वेक्टर वैक्सीन,
- आरएनए-डीएनए आधारित वैक्सीन और
- निष्क्रिय या कमजोर पड़ चुके वायरस से बनी वैक्सीन।
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आरएनए-डीएनए आधारित वैक्सीन कैसे करता है काम?
आरएनए-डीएनए आधारित वैक्सीन को बनाने में कोरोना वायरस के जेनेटिक कोड का इस्तेमाल किया जाता है। इसके एक छोटे से हिस्से को जब व्यक्ति के शरीर में इंजेक्ट किया जाता है तो यह शरीर में वायरल प्रोटीन बनाता है, न कि पूरा वायरस। इस तरह शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र वायरस पर हमला करने के लिए तैयार हो जाता है। मॉडर्ना कंपनी ने आरएनए आधारित वैक्सीन ही बनाई है, जिसे अमेरिका ने हाल ही में आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी दी है।
प्रोटीन आधारित वैक्सीन
इस तरह की वैक्सीन को बनाने में कोरोना वायरस के प्रोटीन सेल्स का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें प्रोटीन सेल्स से वायरस स्ट्रेन के जरिए इम्यूनिटी विकसित की जाती है।
वायरल वेक्टर वैक्सीन
वायरल वेक्टर वैक्सीन को बनाने के लिए पहले वायरस स्ट्रेन को संक्रमणमुक्त किया जाता है और फिर उसके इस्तेमाल से कोरोना वायरस प्रोटीन विकसित किया जाता है। इसके बाद उन प्रोटीन्स के जरिए शरीर में इतनी इम्यूनिटी विकसित की जाती है कि वो वायरस के संक्रमण को रोक ले। ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन और रूस की 'स्पूतनिक-वी' वायरल वेक्टर आधारित वैक्सीन ही है।
निष्क्रिय या कमजोर पड़ चुके वायरस से बनी वैक्सीन
इस तरह की वैक्सीन को बनाने के लिए निष्क्रिय हो चुके या कमजोर पड़ चुके ऐसे वायरस के स्ट्रेन का इस्तेमाल किया जाता है, जिनमें संक्रमण फैलाने की क्षमता खत्म हो चुकी होती है। इससे शरीर वायरस से लड़ना सीखता है और उसके खिलाफ इम्यूनिटी विकसित करता है, जो बाद में सक्रिय वायरस से लड़ने में काम आती है। चीन की कोरोनावैक इसी पर आधारित वैक्सीन है।
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