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Sunday, May 30, 2021

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 कम्प्यूटर की पीढ़ीयां (Computer Generations)

आधुनिक कंप्यूटरों के इतिहास को तकनीकी विकास के अनुसार कई भागों में बांटा जाता है, जिन्हें कंप्यूटर की पीढ़ीयां (Computer Generations) कहा जाता है

कंप्यूटर के विकास के क्रम को निम्न पांच  पीढ़ीयो में विभक्त किया गया है—

1. प्रथम पीढ़ी (First Generation 1940-1956)

इस पीढ़ी में वैक्यूम ट्यूब (Vacuum Tube) टैक्नोलॉजी का प्रयोग किया गया है। 

इसमें गति 333 माइक्रो सेकेण्ड था । 

इसका स्टोरेज डिवाइस मैग्नेटिक ड्रम था । 

इसमें बैच ऑपरेटिंग सिस्टम का प्रयोग हुआ था । 

प्रथम पीढ़ी के कम्प्यूटर मशीनी भाषा पर कार्य करते थे, ( बाइनरी नंबर 0's और 1's) 

सन् 1952 में डॉ. ग्रेस हॉपर द्वारा मशीनी भाषा का आविष्कार किया गया जिसके कारण कम्प्यूटर प्रोग्राम लिखना आसान हो गया। 

मेमोरी के रूप में पंचकार्ड का उपयोग किया गया। 

इस पीढ़ी के कंप्यूटर ENIAC, UNIVAC, मार्क-1 (IBM) आदि।

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प्रथम पीढ़ी के कम्प्यूटरों की विशेषताएँ -

  • सीमित मुख्य स्टोरेज क्षमता
  • मंद गति से इनपुट आउटपुट

प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटर कमियां (Limitations of First Generation Computer)

  1. इसका आकार बड़ा था ।
  2. मुख्य पूजा वैक्यूम ट्यूब था ।
  3. अधिक बिजली की आवश्यकता पढ़ती थी 
  4. एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाना कठिन कार्य था ।
  5. रख-रखाव वह मरम्मत में परेशानी होती थी
  6. प्रोग्रामिंग क्षमता सीमित था ।

उपयोग –  

  • मुख्यता वैज्ञानिक और सामान्य व्यापार सिस्टम; जैसे– ENIAC, UNIVAC, MARK-1 आदि ।


2. द्वितीय पीढ़ी (Second Generation 1959-1964)

वैक्यूम ट्यूब के स्थान पर छोटे ट्रांजिस्टर (Transistor) का प्रयोग होने लगा ।

इस कंप्यूटरों में मशीन असेंबली भाषा का प्रयोग काफी अधिक हुआ ।

 इसमें उच्च स्तर की भाषा COBOL का प्रयोग किया गया ।

इसमें गति 10 माइक्रो सेकण्ड था ।

स्टोरेज डिवाइस के रूप में मैग्नेटिक कोर, टेक्नोलॉजी का उपयोग किया गया था ।

इसमें मल्टी टास्किंग टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम का प्रयोग हुआ था ।

इस पीढी के कम्प्यूटरों की प्रोसेसिंग की गति प्रथम पीढ़ी के कम्प्यूटर की तुलना में काफी अधिक थी ।

इस पीढी में निर्मित कम्प्यूटरों में मुख्यत UNIVAC , IBM 700 तथा ATLAS आदि थे ।

मेमोरी में पंचकार्ड के स्थान पर चुंबकीय डिस्क का प्रयोग किया गया जैसे- IBM-1620, UNIVAC-1108 |

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दूसरी पीढ़ी के कम्प्यूटरों की विशेषताएँ -

  • ट्रांज़िस्टर का उपयोग आरंभ ।
  • आकार और ताप में कमी ।
  •  तीव्र और विश्वसनीय ।

लाभ (Advantages)

  • पहली पीढ़ी की तुलना में आकार में छोटे थे ।
  • ज्यादा विश्वसनीय थी
  • कम उष्मा की खपत करते थे ।
  • एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाया जा सकता था ।
  • उच्च स्तरीय भाषा में जैसे- BASIC, FORTRAN, ALGOL आदि का प्रयोग में ली गई । 

हानि (Disadvantages) –

  • व्यवसायिक उत्पादन कठिन एवं महंगा था ।
  • बार-बार मरम्मत की आवश्यकता होती थी ।
  • वातानुकूलन की आवश्यकता होती थी ।

उपयोग (Utilisation) –

  • व्यापक व्यवसायिक प्रयोग
  • इंजीनियरिंग डिजाइन
  • इन्वेंटरी फाइल का अपडेशन


3. तृतीय तिथि (Third Generations 1964-1971)

 इस पीढ़ी में ट्रांजिस्टर के स्थान पर (इंटीग्रेटेड सर्किट (IC)) Integrated Circuit  का प्रयोग किया गया, जो ट्रांजिस्टर से अधिक शक्तिशाली था।

इसमें स्टोरेज डिवाइस में मैग्नेटिक कोर का प्रयोग किया गया 

इसमें गति 100 नैनो सेकंड था ।

इसमें फोरट्रान, कोबोल (COBOL) भाषा आदि का प्रयोग किया गया ।

इसमें रियल टाइम/टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम का प्रयोग हुआ था ।

IC का आकार ट्रांजिस्टरों के सर्किट ( Circuit ) के आकार से छोटा होने के कारण इस पीढ़ी के कम्प्यूटरों का आकार भी काफी छोटा था । 

इन कम्प्यूटरों में विद्युत सर्किट्स का आकार छोटा होने के कारण इनके प्रोसेसिंग की गति अधिक थी । 

तृतीय पीढ़ी के कम्प्यूटरों में कार्य करने के लिए उच्च स्तरीय भाषा (High level language) का प्रयोग किया गया प्रथम उच्च स्तरीय भाषा का नाम फोरट्रान (FORTRAN) था ।

इस पीढी के कम्प्यूटरों के संचालन के लिए सिर्फ एक ही व्यक्ति की आवश्यकता होती थी । 

इस पीढ़ी में निर्मित कम्प्यूटरों में मुख्यत : थे - PDP श्रृंखला के कम्प्यूटर तथा CDC - 1700 आदि ।

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तीसरी पीढी के कम्प्यूटरों की विशेषताएँ :-

  • चुंबकीय कोर और सॉलिड स्टेट का मुख्य स्टोरेज के रूप में उपयोग
  • रिमोट प्रोसेसिंग
  • इनपुट-आउटपुट को नियंत्रित करने के लिए सॉफ्टवेयर उपलब्ध 

लाभ (Advantages)

  • प्रथम व द्वितीय पीढ़ी के कंप्यूटरों की तुलना में आकार में छोटे थे ।
  • द्वितीय पीढ़ी के कंप्यूटर  से अधिक विश्वसनीय थे ।
  • द्वितीय पीढ़ी के कंप्यूटर से कम उष्मा की खपत करते थे ।
  • एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना आसान हुआ । 
  • गणना का समय माइक्रो सेकंड से नैनो सेकंड हो गया ।
  • व्यावसायिक उत्पादन आसान एवं सस्ता हुआ ।

हानि (Disadvantages) –

  • कई स्थितियों में एयर कंडीशनिंग की आवश्यकता रहता है

उपयोग (Utilisation) – 

  • डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम, ऑनलाइन सिस्टम, रिजर्वेशन सिस्टम आदि जैसे- IBAM System/360, NCR395, B6500 आदि

4. चतुर्थ पीढ़ी (Fourth Generations 1971-1980)

इस पीढ़ी के कंप्यूटरों में बड़े पैमाने पर इंटीग्रेटेड सर्किट/ माइक्रोप्रोसेर्स (Microprocessor) का प्रयोग होने लगा ।

माइक्रो प्रोसेसर का विकास ई. हाफ ने किया जिससे पर्सनल कम्प्यूटर विकास हुआ।

इसमें गति 10 पीको सेकंड था ।

स्टोरेज डिवाइस में चुम्बकीय डिस्क के साथ-साथ सेमीकंडक्टर-क्टर मेमोरी का प्रयोग हुआ।

इसमें टाइम शेयरिंग नेटवर्क्स ऑपरेटिंग सिस्टम का प्रयोग हुआ था ।

इसमें फोरट्रान 77, पास्कल, ADA, कोबोल-74 भाषा का प्रयोग किया गया ।

इस पीढी के कम्यूटरों की प्रोसेसिंग की गति पिछली तीनों पीढ़ियों से काफी तेज थी ।

जिससे C भाषा का विकास हुआ।

इंटरनेट का विकास तेजी से हुआ।

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चौथी पीढी के कम्प्यूटरों की विशेषताएँ-

  • उनी कंप्यूटर के उपयोग में वृद्धि ।
  • विभिन्न-विभिन्न हार्डवेयर निर्माता के यंत्रों के बीच एक अनुकूलता ताकि उपभोक्ता किसी एक विक्रेता से बंधा ना रहे ।

लाभ (Advantages)

  • यह कंप्यूटर आकार में बहुत छोटे होते हैं ‌‌।
  • इसमें बिजली की खपत बहुत कम होती है ।
  • यह सामान्य ताप पर भी कार्य कर सकते हैं ।
  • कम उष्मा की खपत करते हैं ।
  • मूल्य कम होने के कारण छोटे दुकानदार भी इन्हें खरीद सकते हैं ।
  • इन पर कार्य करना सरल एवं कम खर्चीला होता है ।
  • संग्रहण पुर्जा (Storage Devices)  के रूप में सेमीकंडक्टर मेमोरी, हार्ड डिस्क, 10MB क्षमता की मुख्य मेमोरी का प्रयोग किया गया ।

हानि (Disadvantages) –

VLSI चिप बनाने के लिए अधिकतर परिष्कृत अत्यधिक परिष्कृत तकनीक की आवश्यकता होती है

उपयोग (Utilisation) –

  • इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर, व्यवसायिक उत्पादन और व्यक्तिगत उपयोग; जैसे– IBM, PC-XT एप्पल ll, इण्टेल 400 चिप ।

5. पंचम पीढ़ी (Fifth Generations 1980)

इस पीढ़ी में Artificial intelligence (कृत्रिम बुद्धि) का प्रयोग किया गया या इसपीढ़ी के (वर्तमान) कंप्यूटरों में बड़े पैमाने में इंटीग्रेटेड सर्किट का प्रयोग होने लगा 

स्टोरेज डिवाइस में ऑप्टिकल डिस्क का प्रयोग किया गया ।

इसका ऑपरेटिंग सिस्टम नॉलेज इन्फॉरमेशन प्रोसेसिंग सिस्टम का प्रयोग किया गया ।

पोर्टेबल PC व टैबलेट का सर्वाधिक विकास हुआ ।

इन कम्प्युटरों में VLSIC व ULSIC तकनीक का प्रयोग किया गया है ।

इन कम्प्यूटरों में कत्रिम दिमाग ( Artificial Intelligence : AI ) उपस्थित है , जिसके कारण इनमें निर्णय लेने की क्षमता है ।

इस पीढी के कम्प्यूटरों में मुख्य रूप से भारत में ही निर्मित कम्प्यूटर परम (PARAM) शामिल है ।

इनकी प्रोसेसिंग की गति काफी अधिक है । ये कम्प्यूटर अरबों गणनाएँ एक सेकण्ड में करते हैं । इनकी गति पिकों सेकण्ड (10-12 Sec) में मापी जाती है ।

इस पीढ़ी के कम्प्यूटर दो या तीन वस्तुओं में तुलना करने तथा उपर्युक्त वस्तु का चुनाव करने में सक्षम हैं ।

इस पीढ़ी में ULST (Ultra Large Scale Integration) का प्रयोग होने लगा।


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पाँचवी पीढी के कम्प्यूटरों की विशेषताएँ :-

  • इंफॉर्मेशन मैनेजमेंट नैचुरल लैंग्वेज, प्रोसेसिंग स्पीच कैरेक्टर, इमेज रिकॉग्निशन
उपयोग (Utilisation) –
  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AL) जैसे- रोबोटिक्स ।

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पांचवी पीढ़ी के कंप्यूटरों में निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं -

  1. कंप्यूटरों के विभिन्न आकार (Different Size of Computer)
  2. इंटरनेट (Internet) 
  3. मल्टीमीडिया (Multimedia)
  4. नए अनुप्रयोग (New Applications)

पंचम पीढ़ी के कंप्यूटर की मुख्य विशिष्टताएं (Main Characteristics of Fifth Generation of Computer)

1. मुख्य स्विचिंग पूजा (Main/Switching Device)- VLST (Very Large Scale Integration) आदि 

2. संग्रहण पुर्जा (Storage Device)- 128MB क्षमता की मुख्य मेमोरी, कैश मेमोरी, बबल मेमोरी व ऑप्टिकल मेमोरी आदि ।

3. सॉफ्टवेयर— Windows 95/98/XP, Visual Basic, Visual C++,  Java आदि ।

 4. प्रोग्राम क्षेत्र– समांतर प्रोग्रामिंग, न्यूरल नेटवर्क, मौसम भविष्यवाणी, सेना में, CAD आदि में ।

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