कंप्यूटर का इतिहास क्या है आइए जानें पूरी जानकारी हिंदी में
Introduction – कंप्यूटर एक तीव्र शत प्रतिशत सही प्रमाण देने वाले इलेक्ट्रॉनिक मशीन है जो संग्रहण किए गए डाटा के आधार पर या यूजर से प्राप्त डाटा को आउटपुट के रूप में प्रदान करता है ।
'कंप्यूटर' शब्द कंप्यूट (Compute) से बना है जिसका अर्थ होता है 'गणना' । अत: कंप्यूटर का अर्थ है गणना करने वाली मशीन ।
कंप्यूटर का फुल फॉर्म हिंदी में –
- C Commonly (आमतौर पर)
- O Operated (संचालित)
- M Machine (मशीन)
- P Particularly (विशेष रूप से)
- U Used for (के लिए इस्तेमाल होता है)
- T Technical (तकनीकी)
- E Education and (शिक्षा और)
- R Research (अनुसंधान)
प्रयोगकर्ता इनपुट (की बोर्ड, माउस इत्यादि) की सहायता से डाटा कंप्यूटर को देता है दिए गए निर्देश के अनुसार कंप्यूटर प्राप्त डाटा का प्रोसेसिंग करता है एवं आउटपुट उपकरणों के द्वारा परिणाम यूजर को प्रदान करता है कंप्यूटर शत प्रतिशत सही प्रणाम देने वाली इलेक्ट्रॉनिक मशीन है, कंप्यूटर तब ही गलत परिणाम देता है जब यह तो यूजर के द्वारा गलत डाटा इनपुट दिया गया हो या प्रोसेसिंग के लिए गलत निर्देश दिया गया हो ।
आज के दैनिक जीवन के हर क्षेत्र में कंप्यूटर में अपना स्थान बनाने में सफलता प्राप्त कर ली है कंप्यूटर की निरंतर बढ़ती क्षमताओं के फलस्वरुप इसका उपयोग नवीन क्षेत्रों में बढ़ाया जा रहा है उदाहरण के लिए हमारे बिजली तथा टेलीफोन के बिल कंप्यूटर द्वारा प्रिंट करके भेजे जाते हैं, रेलगाड़ियों और हवाई जहाज के सीटों का आरक्षण कंप्यूटर द्वारा किया जा रहा है, और तो बैंकों में अधिकतर कार्य कंप्यूटर की सहायता से ही होने लगी है कंप्यूटर की सहायता से हम एक नगर से दूसरे नगर अथवा एक देश से दूसरे देश में अपने संदेश ई-मेल की सहायता से कुछ क्षणों में भेज सकते हैं ।
हम विश्व के किसी भी कोने में हम अपनी मनपसंद वस्तुओं में इंटरनेट के माध्यम से खरीदने या बेचने में सक्षम हो गए हैं, कंप्यूटर से गिने-चुने जगहों पर काम में आने वाली दुर्लभ मशीन नहीं रह गई है, बल्कि घरेलू उपयोग की वस्तु बनती जा रही है इसलिए वर्तमान युग को कंप्यूटर का युग कहा जाने लगा है ।
आज कंप्यूटर का उपयोग फिल्म निर्माण, उद्योग, व्यापार, शोध, यातायात नियंत्रण और अंतरिक्ष जगत का कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है, जहां कंप्यूटर की आवश्यकता महसूस न की जा रही हो ऐसे अनेकों जगहों में कंप्यूटर को उपयोग में लाया जा रहा है ।
कंप्यूटर का इतिहास (History of Computer)
आज के इस युग में कंप्यूटर का विकास कई वर्षों पुराना है, कंप्यूटर का विकास गणितीय गणनाओं को आसानी से करने के लिए किया गया था आज के दौर में कंप्यूटर का प्रयोग गणितीय गणनाओं के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के कार्यों में भी किया जाता है ।
कंप्यूटर के विकास के क्रम को तीन भागों में बांटा गया है ।
कम्प्यूटर का विकास (Development of Computer)
1. डार्क ऐज (Dark Age : 3000BC - 1890AD)
2. मिडिल ऐज (Middle Age : 1890 - 1944)
3. मॉर्डन ऐज (Modern Age : 1944 अब तक)
1. डार्क ऐज (Dark Age)
पहले के सभी कंप्यूटर इलेक्ट्रो-मैकेनिकल थे। डार्क एज का इतिहास अबेकस से शुरू हुआ इससे पहले मनुष्य गणना के लिए छोटे पत्थर या धातु पर खरोंच करके गणना का कार्य करते थे ।
अबेकस (Abacus)
अबेकस गणना की प्राचीनतम मशीन मानी जाती है ।
इस उपकरण में एक लकड़ी का फ्रेम होता है जो दो भागों में बांटा रहता है ऊपरी भाग को हैवन तथा निचले भाग को अर्थ कहा जाता है इस फ्रेम में क्षैतिज छड़ें लगी होती है जिसमें गोल मोती लगे होते हैं इस मोतियों को एक तरफ से दूसरी तरफ से खिसकाकर गणना की जाती है। सबसे ऊपर वाली लाइन इकाई, दूसरी लाइन दहाई, तीसरी लाइन सैंकड़ा......… .. अंको का मान व्यक्त करती है ।
अबेकस का नियमित रूप से उपयोग करने वाला व्यक्ति अबेकस के द्वारा केलकुलेटर के समान तेज गति से गणनाएं कर सकता है ।
इसका आविष्कार सन् 1602 में चीन में हुआ था ।
अबेकस का नियमित रूप से उपयोग करने वाला व्यक्ति अबेकस के द्वारा कैलकुलेटर के समान तेज गति से कार्य कर सकता हैं ।
विशेषता (Trait)–
- सबसे पहला एवं सरल यन्त्र।
- क्षैतिज (Horizontal) तारों में गोलाकार मोतियों के द्वारा गणना की जाती है।
अनुप्रयोग–
- अबेकस का प्रयोग जोड़ने व घटाने के लिए किया जाता था।
- इसका प्रयोग वर्गमूल निकालने के लिए किया जाता था।
एनालॉग मशीन एवं नेपियर्स बोन्स (Analog Machine and Nepier's Bones)
अबेकस के बाद सन् 1617 में स्कॉटलैंड के एक गणितज्ञ जॉन नैपियर (John Napier) में हड्डियों की छड़ों का प्रयोग कर एक ऐसी मशीन का निर्माण किया जो गुणा (Multiplication) का कार्य भी कर सकती थी इसलिए इस मशीन का नाम नेपियर बोंस रखा गया ।
इसका आविष्कार सन् 1617 में जॉन नैपियर द्वारा स्कॉटलैंड (Scotland) में हुआ था।
विशेषता (Trait)–
- 10 आयताकार पट्टीयों पर 0 से 9 तक के पहाड़े इस प्रकार लिखे जाते हैं कि एक पट्टी के दहाई के अंक दूसरी पट्टी के इकाई अंकों के पास आज जाते थे।
- गणना के लिए प्रयोग में आने वाली प्रौद्योगिकी को राबडोलोगिया कहते हैं।
अनुप्रयोग–
- गुणा अत्यंत शीघ्रता पूर्वक की जा सकती थी।
- गणनात्मक परिणाम को ग्राफिकल संरचना द्वारा दर्शाया जाता था।
ब्लेज पास्कल का यांत्रिक कैलकुलेटर (Mechanical Calculator of Mechanical Machine)
सन 1642 मे ब्लेज पास्कल ने पहली यांत्रिक मशीन बनाई जो जोड़ वह बाकी का कार्य कर सकती थी पास्कल ने इस मशीन आविष्कार अपने पिता की मदद करने के लिए किया ।
- यह प्रथम मैकेनिकल एडिंग मशीन है।यह मशीन ओडोमीटर एवं घड़ी के सिद्धांत पर कार्य करती है।
- संख्याओं को जोड़ने और घटाने के लिए प्रयोग किया जाता था ।
- यह एक ऐसी बुनाई मशीन थी, जिसमें बुनाई के डिजाइन डालने के लिए छिद्र किए हुए कार्डों का उपयोग किया जाता था।
- यह एक मैकेनिकल लूम था।
- इसका प्रयोग कपड़े बुनने के लिए किया जाता था।
चार्ल्स बैबेज को आज के आधुनिक डिजिटल कंप्यूटर का पिता कहा जाता है ।
इस मशीन में गियर व सॉफ्ट लगे थे तथा यह भाप से चलती थी यह पूर्णत: स्वचालित मशीन (Automatic machine) थी यह 60 जोड़ एक मिनट में कर सकती थी एवं इसमें मेमोरी भी थी यह प्रोग्राम के निर्देशक द्वारा नियंत्रित होती थी ।
इसका आविष्कार सन् 1833 में चार्ल्स बैबेज के द्वारा इंग्लैंड में हुआ था।
विशेषता (Trait)–
- यह प्रथम जनरल पर्पज कंप्यूटर है।
- इस मशीन को आधुनिक कम्प्यूटरों का प्रारूप माना जाता है। यह एक मैकेनिकल मशीन है।
अनुप्रयोग–
- इसका प्रयोग सभी गणितीय सक्रियाएँ करने में किया जाता था।
2. मिडिल ऐज (Middle Age)
(हर्मन होलेरिथ की टेबुलर मशीन (Tabular Machine of Herman Hollerith)
कंप्यूटर के विकास में संयुक्त राज्य अमेरिका के वैज्ञानिक डॉ हर्मन होलेरिथ का बहुत बड़ा योगदान रहा । 1880 की जनगणना (अमेरिका) में यह जनगणना विभाग में काम करते थे, एवं बहुत ही कम समय (लगभग तीन वर्षों में) इस मशीन का उपयोग से उन्होंने कई कार्य को संभव कराया ।
होलेरिथ की इस मशीन में पंच कार्ड का उपयोग किया था । उन्होंने अपने कोड विकसित किए थे जिन्हें होलेरिथ कोड कहा गया । इस कोड के द्वारा पंच कार्ड में सूचना का संग्रहण करना संभव हो पाया ।
पंच कार्ड में जो छेद होते हैं व 1 को प्रदर्शित करते हैं वह जहां चीज नहीं होते हैं वह 0 को प्रदर्शित करते हैं इस मशीन में डाटा को भविष्य के लिए संग्रहित करना संभव हो सका होलेरीथ ने 1896 में एक कंपनी खोली जिसका नाम टेबुलेटिंग मशीन कंपनी रखा है जिसमें उन्होंने यह मशीन बेचने का कार्य किया 1924 में यह कंपनी अन्य कंपनियों के साथ मिलकर IBM (International Business Machine) के नाम से जानी जाने लगी । यह पहली यांत्रिक मशीन थी जो बिजली से चलती थी ।
विशेषता (Trait)–
- इसमें संख्या पढ़ने का कार्य छिद्र किए हुए कार्डों द्वारा किया जाता था ।
- एक समय में, एक ही कार्ड को पढ़ा जाता था ।
अनुप्रयोग–
- इसका प्रयोग 1890 ई. की जनगणना में किया गया था।
एटानासॉफ-बेरी कंप्यूटर (Atanasoff-Berry Computer)
सन 1939 में डॉ. जॉन एटानासॉफ व उसके छात्र ई-बेरी ने अमेरिका के एक विद्यालय में जटिल गणनाओं के लिए कंप्यूटर बनाने का प्रयास किया । सन 1942 में इन्होंने एक कार्यशील Model तैयार कर लिया जिसमें मुख्य रूप से वैक्यूम ट्यूब उपकरण का उपयोग किया गया था तथा संग्रह इकाई व अंकगणितीय लॉजिक इकाई इसकी मुख्य विशेषताएं थी अर्थात एटानासॉफ ने प्रथम इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कंप्यूटर का आविष्कार किया ।
- यह बीस एक्युमूलेटर्स का एक संयोजन हैं
- यह पहला डिजिटल कम्प्यूटर था।
- इसका प्रयोग प्राइवेट फर्मों, इंजीनियर्स रिसर्च एसोसिएशन और IBM में किया गया था।
- यह पहला प्रोग्राम संगृहीत डिजिटल कम्प्यूटर था।
- यह वर्गों के पहाड़ों की भी गणना कर सकता था।
- यह सांख्यिकी और शाब्दिक दोनों प्रकार के डेटा को संसधित करता था।
- यह मैग्नेटिक टेप का प्रयोग इनपुट और आउटपुट के लिए करता था।
- इसका प्रयोग वाणिज्यिक इस्तेमाल के लिए किया जाता था।
- यह इनपुट/आउटपुट यूनिट एल्फाबेटीकली तथा स्पेशल कैरेक्टर को दो अंकीय डेसीमल कोड में परिवर्तित करता है।
- पेयरोल प्रोसेसिंग
- मार्किट रिसर्च एनालिसिस
3. मॉर्डन ऐज (Modern Age अब तक)
इस ऐज में इलैक्ट्रॉनिक कंप्यूटर का विकास हुआ 1930 व 1940 के मध्य में कई नामों के इलैक्ट्रॉनिक कंप्यूटर बाजार में आए। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान हवाई जहाज की डिजाइन एवं मिलिट्री के कोड को तोड़ने के लिए इन कंप्यूटरों को काम में लिया गया ।1936 के वैज्ञानिक (जॉन इंजीनियरिंग) ने मॉडल यांत्रिक कंप्यूटर Z1 का निर्माण किया जिसमें नंबर इनपुट करने के लिए कीबोर्ड का प्रयोग किया इसे में बायनरी सिस्टम का प्रयोग किया गया ।
Z1 में धीमे यांत्रिक स्विच को विद्युत रिले से बदल दिया और Z2 कंप्यूटर का निर्माण किया । बाद में वैज्ञानिक Zuse ने Z3 एवं Z4 का निर्माण किया ।
MARK-1–
1944 में प्रोफेसर एनिएक (ENIAC-Electronic Numerical Integrator And Calculator) ने आईबीएम कंपनी के साथ मिलकर पहला इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर बनाया जो कि लेडी एटा के द्वारा विकसित निर्देशों का पर कार्य करता था ।
MARK-1, 20 डिजिटल की 2 संख्याओं को 5 सेकंड में गुणा कर सकता था और आवाज भी करता था हालांकि यह कंप्यूटर इससे पहले बने कंप्यूटर में से तेज गति (Fast Speed) से कार्य करता था लेकिन इसमें खराबी को ढूंढना मुश्किल कार्य था ।
मार्क-1 का आविष्कार अमेरिका के वैज्ञानिक हॉवर्ड हैथवे एकेन ने 1937 में किया था ।
विशेषता (Trait)–
- यह विश्व का प्रथम पूर्ण स्वचालित विद्युत यान्त्रिक (Electro mechanical) गणना यन्त्र था ।
- इसमें इण्टरलॉकिंग, पैनल के छोटे गिलास, कॉउण्टर, स्विच और नियंत्रण सर्किट होते थे ।
अनुप्रयोग–
- इसका प्रयोग गणनाएँ करने में किया जाता था ।
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